अब्बास को गठबंधन में लाकर फंसी कांग्रेस, अधीर और आनंद शर्मा में छिड़ा वाकयुद्ध

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पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल  और मुख्य विपक्षी पार्टी बन चुकी भाजपा के खिलाफ विकल्प की कोशिश में जुटे माकपा-कांग्रेस गठबंधन में नवगठित पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) चीफ अब्बास सिद्दीकी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। विधानसभा चुनाव के दौरान लोगों के लिए विकल्प बनने का दावा कर रही कांग्रेस के प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व में ही इस मामले को लेकर ठन गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने ट्विटर पर सीधे अधीर रंजन चौधरी को नसीहत देते हुए कहा है कि अब्बास सिद्दीकी जैसे कट्टरपंथी के साथ मंच साझा करना कांग्रेस के लिए लज्जा जनक है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि ऐसा करने से पहले अधीर रंजन चौधरी ने कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की अनुमति नहीं ली है। उन्होंने कहा है कि इस तरह का गठबंधन पार्टी की आदर्श और नीतियों के खिलाफ है और चौधरी को इस बारे में स्थिति स्पष्ट करनी पड़ेगी।

 इन अधीर ने भी आनंद शर्मा के इन आरोपों का जवाब ट्विटर पर ही दिया है। उन्होंने इशारे में आनंद को भारतीय जनता पार्टी का एजेंट करार दिया है और कहा है कि जो लोग गठबंधन पर सवाल खड़ा कर रहे हैं वे भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। ट्विटर पर शर्मा को जवाब देते हुए चौधरी में लिखा है कि जो लोग कंफर्ट जोन से निजी फायदे के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा कर रहे हैं उन्हें ऐसा करना बंद कर देना चाहिए। जिस बट वृक्ष के नीचे पले बढ़े हैं उसी कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम करना ज्यादा बेहतर होगा।
 हालांकि चौधरी ने अपने ट्वीट में इस बात का भी संकेत दिया है कि अब्बास सिद्दीकी को गठबंधन में शामिल करने को लेकर उनकी कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल के लोगों के हित में बंगाल में माकपा के नेतृत्व में गठबंधन बन रहा है। उसमें किसे शामिल करना है उसका निर्णय माकपा ही ले रही है।
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 चार घंटे की वार्ता के बाद भी नहीं बनी गठबंधन की बात
– इधर आईएसएस के मुखिया अब्बास सिद्दीकी के साथ सीट समझौते को लेकर कांग्रेस की बात नहीं बन रही है। सोमवार को माकपा कांग्रेस और आईएसएस के प्रतिनिधियों ने करीब चार घंटे तक वार्ता की है लेकिन खबर है कि कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले मुर्शिदाबाद और मालदा में और अधिक सीटें लेने के लिए अब्बास अड़े हुए हैं। इधर कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अब्बास सिद्दीकी को अपने हिस्से की एक भी सीट नहीं देंगे। इसकी वजह से गठबंधन में पेच फंसा हुआ है। सूत्रों ने बताया है कि वाममोर्चा ने आईएसएस को 30 सीटें दे दी है लेकिन और सात से आठ सीटें लेने के लिए अब्बास अड़े हुए हैं। जो भी सीटें उन्हें मिली है वह वाममोर्चा ने अपने हिस्से से दिया है और बाकी सीटें कांग्रेस के देने की मांग की जा रही है लेकिन अधीर में एक भी सीट देने से इन्कार कर दिया है। इसी वजह से रविवार को ब्रिगेड परेड के सभा मंच से अब्बास सिद्दीकी ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए साफ कहा था कि उनके कार्यकर्ता भाजपा के उम्मीदवारों को जिताने के लिए तो काम करेंगे लेकिन कांग्रेस के लिए कुछ भी नहीं करेंगे।