04
May
सिलीगुड़ी:- समाज के तमाम धर्मों और समाजों में पथ-प्रदर्शकों को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती रही है। उस व्यक्ति की वंदना की जाती रही है जो हमें अपने जीवन के उद्देश्यों से अवगत कराए, हमें जीवन की सार्थकता का बोध कराए, हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाए। उस पथ-प्रदर्शक को कहीं ईसाई धर्म में मास्टर कहा गया है तो इस्लाम में पीर, तो सनातन धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में गुरु की उपमा दी जाती रही है। समस्त धर्मों में गुरु को माता-पिता से भी ऊंचा स्थान मिला है।गुरु की महत्ता सगुण-निर्गुण में ही नहीं, नास्तिक, न्याय और सांख्य परंपरा में…
