लोभ और माया को छोड़कर सत्य के रास्ते पर चलना ही सनातन धर्म का स पहचान है : परम संत हुजुर कवंर साहेब जी महाराज

23

सिलीगुड़ी:- समाज के तमाम धर्मों और समाजों में पथ-प्रदर्शकों को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती रही है। उस व्यक्ति की वंदना की जाती रही है जो हमें अपने जीवन के उद्देश्यों से अवगत कराए, हमें जीवन की सार्थकता का बोध कराए, हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाए। उस पथ-प्रदर्शक को कहीं ईसाई धर्म में मास्टर कहा गया है तो इस्लाम में पीर, तो सनातन धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में गुरु की उपमा दी जाती रही है। समस्त धर्मों में गुरु को माता-पिता से भी ऊंचा स्थान मिला है।गुरु की महत्ता सगुण-निर्गुण में ही नहीं, नास्तिक, न्याय और सांख्य परंपरा में भी उतनी ही रही है। यहां तक अवैदिक बौद्ध, सिख और जैन परंपराओं में भी गुरु को ईश्वर तुल्य स्थान दिया गया है। इसकी वजह यह है कि गुरु ज्ञान का स्रोत है। बिना ज्ञान के मनुष्य पशु के समान है। माता-पिता जन्म तो देते हैं, लेकिन ज्ञान लब्ध और लक्ष्य से परिपूर्ण बनाने का कार्य गुरु ही करता है। वही हमें ईश्वर से परिचय कराता है और प्रकाश रूपी ईश्वर की तरफ ले जाता है। इसीलिए परम संत हुजुर कवंर साहेब जी महाराज के करोड़ो भक्त पूरे भारत वर्ष में फैले हुए हैं जो सत्संग एवं सनातन धर्म से जुड़े हुए हैं। इसलिए पूरे भारतवर्ष में परम संत हुजुर कवंर साहेब जी महाराज के 50 से अधिक शाखाये है।परम संत हुजुर कवंर साहेब जी महाराज का 11 दिवसीय आगमन कार्यक्रम सिलीगुड़ी के प्रधान नगर के राधा बाजार के सत्संग व सनातन आश्रम में आए हुए हैं पिछले 10 दिनों से उनके दिए हुए प्रवचन सिलीगुड़ी के सभी भक्त उनके आश्रम में आकर उनका प्रवचन को सुन रहे हैं और अपने अंदर अहंकार को दूर कर सनातन धर्म को अपना रहे हैं। एक प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि गीता भगवान की वाणी है। ब्रह्म और आत्मा वेदांत के विषय है, ऋषि और महर्षि इस परंपरा के पोषक हैं। गीता का ज्ञान ही विश्व में सर्वश्रेष्ठ प्रबंध का सूत्र माना गया है। जीवन में गीता का ज्ञान अमरत्व और विजय दोनों प्रदान करता हैं। गीता का अध्ययन करने से मनुष्य में दृष्टि का ज्ञान होता है, जिसे दृष्टि मिल गई वह परम पद को प्राप्त करने वाला बन जाता है।श्रद्धा से मनुष्य किसी को भी जीत सकता है। श्रद्धा हर सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। सनातन धर्म में इन तत्वों का अध्ययन किया जाता है। इसीलिए सनातन धर्म संसार का सर्वश्रेष्ठ धर्म है। इसी श्रद्धा के कारण गुरु प्राप्त हो जाता है, जो अपने शिष्य को अध्यात्म का पाठ पढ़ाकर उसे महान बना देता है। भक्त और भगवान का संबंध आध्यात्मिक धरातल पर होता है।सनातन धर्म में, कर्म को जीवन में किए गए कार्यों का परिणाम माना जाता है। सनातन धर्म पर चलने के लिए उन्होंने कुछ बातों का अवलोकन किया इन मूल सिद्धांतों के अलावा, सनातन धर्म में कई अन्य महत्वपूर्ण शिक्षाएं भी हैं, जैसे: कर्तव्यों का पालन करें और धर्म के मार्ग पर चलें।सभी प्राणियों के प्रति दया और अहिंसा के साथ व्यवहार करें।सत्य का पालन करें और हमेशा सत्य का आदर्श बनाए रखे।शांति और सम्मान के साथ अपने और दूसरों के बीच समाधान का मार्ग चुनें।सभी प्राणियों के प्रति प्रेम और सहानुभूति बनाए रखें।आध्यात्मिक अभ्यास और साधना के माध्यम से अपने मन को शुद्ध और उद्धारण करें।अपने आत्मा की शुद्धि के लिए ध्यान का अभ्यास करें. सनातन धर्म का मुख्य उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष प्राप्त करना है।यह धर्म हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में सदाचार का पालन करना चाहिए और दूसरों के प्रति दया और करुणा का भाव रखना चाहिए।सत्य, अहिंसा, त्याग और परोपकार सनातन धर्म का मूल मंत्र हैं।मनुष्य बहुत ही विचित्र है अपनों से नीचे स्तर के लोगों को वह हे दृष्टि से देखता है। उनका मजाक उड़ाता है। जब मनुष्य के पास धन, बल , संपत्ति, यौवन होता है तो वह दूसरों का आदर नहीं करता है क्योंकि वह अहंकार से भरा हुआ रहता है। दूसरों की तुलना में वह खुद को ऊंचा और श्रेष्ठ समझते हैं।अहंकार को कम करने के लिए विनम्रता को अपनाना होगा। जब आप विनम्रता को अपनाएंगे तो खुद ब खुद आपके अंदर का अहंकार कम होने लगेगा। धीरे धीरे आपके अंदर का “मैं” की भावना कम होती चली जाएगी। आप खुद को सर्वोत्तम समझना बंद करने लगेंगे। और आप में सहनशीलता और संतोष आएगी। उन्होंने बताया कि आजकल की नौजवानों और बच्चों को नए उपकरण और टेक्नोलॉजी से दूर रहना चाहिए यह अच्छे भी होती है लेकिन ज्यादा तो यह खराब चीजों को दर्शाती है और सिखाती है उन्होंने यह भी बताया कि छोटे छोटे बच्चों को मोबाइल से जितना दूर रखेंगे उनके भविष्य के लिए बहुत ही उत्थान होगा। उन्होंने कहा कि हमारा यह प्रवचन सिलीगुड़ी में ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष में चलता रहता है हमारे प्रवचन से अगर किसी भी आदमी को सद्बुद्धि मिले और सही रास्ता उन्हें मिले तो यही हमारे लिए कर्म की सफलता है उन्होंने कहा कि हम हर साल इसी महीने तीन चार तारीख को आते है।