प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मध्य एशिया के पाँच देशों के साथ के पहली बार एक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि इस समिट में अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के आने के बाद की सुरक्षा चुनौतियों के साथ व्यापार और ऊर्जा मुख्य विषय होंगे.
यह समिट वर्चुअल है. इसमें कज़ाख़स्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल हैं. भारत के विदेश मंत्रालय ने इस समिट को लेकर कहा है कि यह भारत की मध्य एशिया में बढ़ती सक्रियता और विस्तारित पड़ोसियों की अहमियत को दर्शाता है. भारत ने क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर उपजी नई स्थितियों को प्राथमिकता देने पर ज़ोर दिया है.
भारत इस समिट की मेज़बानी तब करने जा रहा है, जब कज़ाख़स्तान में गंभीर राजनीतिक अस्थिरता आई है और इस इलाक़े का पावर सेंटर रूस यूक्रेन को लेकर उलझा हुआ है.
पिछले साल अगस्त में अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथों में आ गई थी और उसके बाद से भारत अपनी सुरक्षा और हितों को लेकर चिंतित है. भारत ने इन चिंताओं के बीच मध्य एशिया के देशों के साथ अपनी सक्रियता बढ़ाई है. पिछले साल नवंबर और दिसंबर में मध्य एशिया के इन देशों के विदेश मंत्रियों के साथ भारत ने अफ़ग़ानिस्तान को लेकर बैठक की थी.
दिसंबर में इन पाँचों देशों के विदेश मंत्री नई दिल्ली, पाकिस्तान में ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी की बैठक के बाद भारत आए थे. इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक अफ़ग़ानिस्तान को लेकर ही पिछले महीने 19 दिसंबर को इस्लामाबाद में आयोजित हुई थी. अब एक बार फिर से भारत मध्य-एशियाई देशों के साथ अपनी रणनीति को आगे बढ़ाने जा रहा है.