देश के भविष्य के लिए अहम भूमिका निभाएगी नई श‍िक्षा नीति : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के एक साल पूरा होने पर अपनी बात रखी| उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में होने वाले बड़े बदलावों और अलग-अलग कार्यक्रमों की जानकारी दी| प्रधानमंत्री ने कहा देश का युवा जिस दिशा में जाना चाहे, खुले आसमान में उड़ना चाहे, नई शिक्षा व्यवस्था उसे वैसे ही अवसर उपलब्ध कराएगी|

पीएम ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को किसी भी दबाव से मुक्त रखा गया है. जो पॉलिसी के ओपनेस लेवल पर है, वही स्टूडेंट को मिल रहे विकल्पों में भी है|

‘अब स्टूडेंट कितना पढ़ें यह यूनिवर्सिटी या बोर्ड नहीं तय करेंगे बल्कि स्टूडेंट्स की भी सहभागिता होगी| मल्टिपल एंट्रेंस और एग्जिट की जो व्यवस्था आज शुरू हुई है| इसने स्टूडेंट को एक ही क्लास, एक ही कोर्स में जकड़े रहने से मुक्त कर दिया है.’

उन्होने बताया कि 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कालेज 5 भारतीय भाषाएं- हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी और बांग्ला में इंजीनयरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं| इंजीनियरिंग कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए एक टूल भी डेवलप किया जा चुका है|

‘इसका सबसे बड़ा लाभ देश के गरीब वर्ग को गांव, कस्बों में रहने वाले मध्यम वर्ग के स्टूडेंट को, दलित, पिछड़े आदिवासी लोगों को होगा| इन्हीं के परिवारों से आने वाले बच्चों को लैंग्वेज डिवाइड का सामना करना पड़ता है| सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं परिवारों के होनहार बच्चों को उठाना पड़ता था.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य में हम कितना आगे जाएंगे, कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में यानी आज कैसी शिक्षा दे रहे है, कैसी दिशा दे रहे हैं| 21वीं सदी का युवा अपनी व्यवस्थाएं, अपनी दुनिया खुद अपने हिसाब से बनाना चाहता है| इसलिए, उसे ‘एक्‍सपोजर’ चाहिए, उसे पुराने बंधनों, पिंजरों से मुक्ति चाहिए| उन्होंने कहा कि इस युवा पीढ़ी को जब इनके सपनों के अनुरूप वातावरण मिलेगा, तो इनकी शक्ति कितनी ज्यादा बढ़ जाएगी| इसलिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवाओं को ये विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके और उनके हौंसलों के साथ है| राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हर तरह के दबाव से मुक्त रखा गया है| जो खुलापन नीति के स्तर पर है, वही खुलापन छात्रों को मिल रहे विकल्पों में भी है. अब छात्र कितना पढ़ें, कितने समय तक पढ़ें, ये सिर्फ संस्थाएं तय नहीं करेंगी, इसमें छात्रों की भी सहभागिता होगी|

By Editor

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