कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ने इग्नू के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

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कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण ढांचे को और मजबूत करने के लिए इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर डॉ. बी.के. रे, निदेशक (सीबीसी), एमएसडीई और डॉ. वी.बी. नेगी, रजिस्ट्रार, इग्नू।
इस  साझेदारी का उद्देश्य व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण को उच्च शिक्षा के  साथ जोड़ना है, जिससे भारत के युवाओं के लिए काम के बेहतर अवसरों तक  पहुंचने की राह तैयार की जा सके। राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों  (एनएसटीआई), औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई), प्रधानमंत्री कौशल  केंद्रों (पीएमकेके) और जन शिक्षण संस्थानों से जुड़े प्रशिक्षु इस  कार्यक्रम से लाभान्वित होंगे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आजीविका के बेहतर  अवसरों के लिए युवाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने में मदद करना और इनका  सामाजिक-आर्थिक स्तर ऊपर उठाना है।
इस  साझेदारी के तहत, 32 एनएसटीआई, 3 हजार से ज्यादा सरकारी आईटीआई, 500  पीएमकेके और करीब 300 जेएसएस को प्रशिक्षण के लिए पंजीकरण केंद्रों,  परीक्षा केंद्रों और कार्य केंद्रों के रूप में इग्नू के साथ जोड़ा जाएगा।  इस सहभागिता के जरिए, विद्यार्थियों को अब इग्नू के तीन वर्षीय डिग्री  कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिलेगा। कार्यक्रम की प्रगति की निगरानी  और समीक्षा के लिए एमएसडीई और इग्नू दोनों के प्रतिनिधियों की एक परियोजना  संचालन समिति होगी। शुरूआत में यह समझौता ज्ञापन 10 साल की अवधि के लिए है,  जिसे आपसी समझौते पर आगे बढ़ाया जा सकता है। यह एमओयू 2035 तक व्यावसायिक  शिक्षा सहित उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को 50% तक बढ़ाने  के लिए सतत विकास लक्ष्य 4.4 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के  अनुरूप है। 

कौशल  विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव, श्री राजेश अग्रवाल ने इस पहल की  सराहना की और कहा कि भारत का युवा जनसांख्यिकी लाभांश इसकी आर्थिक प्रगति  का इंजन है और इसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ कौशल व व्यावसायिक  प्रशिक्षण हासिल करने के लिए उचित मार्गों तक पहुंच बनाने की आवश्यकता है।  उन्होंने कहा कि पहल का उद्देश्य इसी दिशा में है क्योंकि यह हमारे युवाओं  को अपेक्षित योग्यताओं के साथ-साथ उच्च सामाजिक और आर्थिक गतिशीलता भी  प्रदान करता है। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण भारत के  युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करना और उन्हें भविष्य में काम के अवसरों के  लिए तैयार करना है और यह पहल इसी के अनुरूप है।