मेडट्रॉनिक ने भारत में न्यूरोस्मार्ट™ पोर्टेबल एमईआर नेविगेशन सिस्टम पेश किया

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मेडट्रॉनिक पीएलसी (NYSE:MDT) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी इंडिया मेडट्रॉनिक प्राइवेट लिमिटेड ने आज पार्किंसंस के इलाज के लिए भारत के पहले न्यूरोस्मार्टTM पोर्टेबल माइक्रो इलेक्ट्रोड रिकॉर्डिंग (एमईआर) नैविगेशन सिस्टम के लॉन्च की घोषणा की है। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) के जरिए पार्किंसंस रोग के लक्षणों का इलाज किया जाता है। इन लक्षणों में कंपकंपी आना, शरीर में अकड़न आना और चलने में कठिनाई होना शामिल है। डीबीएस एक ऐसी थेरैपी है जिसमें एक छोटा पेसमेकर जैसा उपकरण लक्षणों से संबंधित मस्तिष्क के टारगेटेड एरिया में बहुत पतले तारों, जिन्हें ‘लीड’ के रूप में जाना जाता है, के जरिए से इलेक्ट्रिकल सिगनल भेजता है। एडवांस्‍ड डीबीएस इम्प्लांट को प्रत्यारोपित डीबीएस सिस्टम का इस्तेमाल करके मस्तिष्क संकेतों को पकड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है। न्यूरोस्मार्ट™ पोर्टेबल एमईआर नैविगेशन सिस्टम ने सर्जरी के दौरान सटीकता बढ़ाकर डीबीएस (डीप ब्रेन स्टिमुलेशन) थेरैपी में क्रांति ला दिया है।   पार्किंसंस रोग एक प्रगतिशील बीमारी है जो ट्रीटमेंट-रजिस्टेंस मोटर समस्याओं और गैर-मोटर लक्षणों दोनों की बढ़ती गंभीरता के कारण आखिरकार गंभीर विकलांगता का कारण बनता है। 2016 में, यह अनुमान लगाया गया था कि दुनिया भर में 6.1 मिलियन लोग पार्किंसंस रोग से ग्रस्त थे। भारत में दुनिया के कुल पार्किंसंस रोगियों  का 10 फीसदी रोगी होने का अनुमान है। ये संख्या 5.8 लाख है।


मेडट्रॉनिक 1987 से डीबीएस थेरैपी में सबसे आगे रहा है, दुनिया भर में 185,000 से ज्यादा डीबीएस डिवाइस प्रत्यारोपित किए गए हैं। अल्फा ओमेगा इंजीनियरिंग द्वारा विकसित न्यूरोस्मार्ट™ पोर्टेबल एमईआर नैविगेशन सिस्टम, न्यूरोलॉजिकल और मानसिक रोगों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला उपचार है। एडवांस न्यूरोफिज़ियोलॉजिकल नैविगेशन मैपिंग की खासियत के साथ, यह तंत्रिकाओं की गतिविधि को रिकॉर्ड करते समय सटीक इलेक्ट्रोड प्लेसमेंट में सहायता करता है। हागाइड ऑटोमैटिक नैविगेशन के आधार पर बेहतर टारगेट लोकलाइजेशन के लिए इसकी उन्नत क्षमताएं, रोगी के सबसे प्रभावी लक्ष्य की पहचान करने में मदद करती हैं। इससे पार्किंसंस के लक्षणों पर ज्यादा से ज्यादा कंट्रोल करके रोगी को राहत दिलाने में मदद मिलती है।  फोर्टिस हॉस्पिटल, बेंगलुरु की न्यूरोलॉजी टीम पार्किंसंस के रोगियों के लिए इस तकनीक का उपयोग करने वाली पहली टीम बनी है। इस टीम में अतिरिक्त निदेशक न्यूरोसर्जरी डॉ. रघुराम जी और न्यूरोलॉजी के अतिरिक्त निदेशक डॉ. गुरुप्रसाद होसुरकर शामिल हैं। यह केस एक 68 वर्षीय मरीज का था जो एक दशक से अधिक समय से पार्किंसंस से पीड़ित था। इस रोग के कारण मरीज चल फिर पाने में असमर्थ था जिससे उसे अपनी दिनचर्या संपन्न करने में भी परेशानी होती थी। मरीज के परिवार के लिए उसकी देखभाल करना भी मुश्किल हो गया था। हालांकि, मरीज को शुरुआत में दवाओं से राहत मिली, लेकिन समय के साथ ये दवाएं प्रभावहीन हो गईं। जिसके  चलते मरीज के लिए वैकल्पिक इलाज की जरूरत पड़ी। न्यूरोस्मार्ट™ में हुई नई प्रगति की वजह से डॉक्टर सही लक्ष्य की पहचान करने में सफल रहे। इससे न्यूनतम साइड इफेक्ट के साथ रोगी के अनियंत्रित लक्षणों को नियंत्रित करने में सफलता मिली।


डॉ. रघुराम जी ने कहा, “यह तकनीक एक गेम-चेंजर तकनीक है। एआई और रियल-टाइम फीडबैक का मतलब है कि नई एमईआर नैविगेशन प्रणाली डीबीएस प्रोसीजर के दौरान ब्रेम स्ट्रक्चर को टारगेट करने के हमारे तरीके में बड़ा बदलाव लेकर आई है। यह प्रगति हमारी कुशलता को काफी बढ़ाती है, जिससे हम अभूतपूर्व सटीकता के साथ उपचार करने में सक्षम होते हैं। कुशलता और सटीकता में इस बढ़त का सीधा फायदा रोगी को मिल रहा है इससे पार्किंसंस रोग और दूसरी न्यूरोलॉजिकल दिक्कतों से निपटने के हमारे प्रयासों में आशा की नई किरण जागी है।” डॉ. गुरुप्रसाद होसुरकर ने कहा, “डीबीएस थेरैपी एक ऐसा बदलाव लाने वाला विकास है, जो बेहतरीन मोटर फंक्शन को संभव बनाता है और रोगियों को नया जीवन प्रदान करता है। नए और उन्नत एआई आधारिक एमईआर नैविगेशन सिस्टम की सटीकता के जरिए इलेक्ट्रोड प्लेसमेंट को सावधानीपूर्वक ऑप्टिमाइज किया जाता है, जो कंपकंपी और अकड़न जैसे लक्षणों से राहत प्रदान करता है। मेडट्रॉनिक इंडिया के न्यूरोसाइंस और स्पेशलिटी थेरैपीज़ के वरिष्ठ निदेशक, प्रतीक तिवारी ने कहा “रोगी और चिकित्सक के अनुभवों में लगातार सुधार के उद्देश्य के साथ, मेडट्रॉनिक की डीबीएस में इनोवेशन की विरासत दो दशकों से अधिक समय से चली आ रही है। हमारे एडवांस्‍ड डीबीएस सिस्टम प्रोसीजरल प्लानिंग और वेरीफिकेशन के लिए सटीक डेटा के साथ हेल्थ केयर पेशेवरों को सशक्त बनाकर ऑपरेटिंग रूम में उनका विश्वास बढ़ाते हैं। न्यूरोस्मार्ट™ एमईआर नैविगेशन सिस्टम बिना किसी परेशानी के इंटीग्रेट होता है और डीबीएस प्रक्रिया में सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए रियल-टाइम फीड बैक देता है।”