भारत के साथ टैक्स विवाद में फ्रांस के कोर्ट ने ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी के पक्ष में फैसला दिया है। उसने केयर्न को पेरिस स्थित भारत सरकार की संपत्तियां जब्त करने की इजाजत दी है। मध्यस्थता अदालत ने केयर्न को 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का हर्जाना वसूलने का अधिकार दिया था। इसी आदेश के तहत एक फ्रांसीसी अदालत से फ्रांस में स्थित 20 भारतीय सरकारी संपत्तियों को जब्त करने की इजाजत दी है।सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
फ्रांसीसी अदालत ने 11 जून को केयर्न एनर्जी को भारत सरकार की संपत्तियों के अधिग्रहण का आदेश दिया था, जिनमें ज्यादातर फ्लैट शामिल हैं, और इस बारे में कानूनी प्रक्रिया बुधवार शाम को पूरी हो गई। एक मध्यस्थता अदालत ने दिसंबर में भारत सरकार को आदेश दिया था कि वह केयर्न एनर्जी को 1.2 अरब डॉलर से अधिक का ब्याज और जुर्माना चुकाए। भारत सरकार ने इस आदेश को स्वीकार नहीं किया। इसके बाद केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार की संपत्ति को जब्त कर देय राशि की वसूली के लिए विदेशों में कई न्यायालयों में अपील की थी। पांच देशों की अदालतों ने केयर्न के पक्ष में आए ट्राइब्यूनल (पर्मानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन) के फैसले पर मुहर लगा दी थी. इनमें अमेरिका और इंग्लैंड का अदालतें भी शामिल थी।
केयर्न ब्रिटेन की कंपनी है। उसने 2007 में भारत में अपनी कंपनी को सूचीबद्ध कराने के लिए आईपीओ पेश किया था। इससे एक साल पहले उसने केयर्न इंडिया के साथ भारत में अपनी कई इकाइयों का विलय किया था। लेकिन इससे इनके मालिकाना हक में कोई बदलाव नहीं हुआ था।
केयर्न ने इसके लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) से इजाजत ली थी। सात साल बाद भारत में टैक्स डिपार्टेमेंट ने उस पर कैपिटल गेंस टैक्स का नोटिस भेजा। उसने 2014 में केयर्न से कहा कि आईपीओ से पहले उसने अपनी कई इकाइयों को केयर्न इंडिया में मिलाया था। इससे उसे कैपिटल गेंस हुआ था। इसलिए उसे टैक्स चुकाना होगा। केयर्न इसके खिलाफ अदालत चली गई।
भारत में टैक्स डिपार्टमेंट ने 10 हजार करोड़ से अधिक बकाये (Capital Gains Tax) के एवज में केयर्न इंडिया के 10 फीसदी शेयरों को अपने कब्जे में ले लिया। इस मामले की सुनावई के बाद नीदरलैंड्स में हेग के आर्बिट्रेशन कोर्ट ने भारत सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया। उसने ब्याज सहित यह रकम केयर्न को चुकाने का निर्देश दिया।