अभिघातजन्य मस्तिष्क चोट से जुड़े 5 मिथकों को दूर करना

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जब लोगों को सिर पर चोट लगती है और उसका कोई साफ़ निशान नहीं दिखता है तो वे अक्सर इसे नजरअंदाज करके निश्चिन्त हो जाते हैं। पर कई बार नहीं दिखने वाली चोट भी काफी नुकसानदेह हो सकती है। ऐसी चोट खोपड़ी के भीतर मौजूद हो सकती है। ध्यान रखें, मस्तिष्क शरीर का बहुत महत्वपूर्ण और अनमोल हिस्सा है। जिन लोगों के सिर पर चोट लगती है उनको इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। अपनी चोट की सही जाँच करवाना ज़रूरी है, ताकि संभावित ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी (टीबीआई) यानी मस्तिष्क में लगी भीतरी चोट की पहचान कर उसका उपचार किया जा सके।

डॉ. कुमार राज – आईएलएस अस्पताल, कोलकाता में सलाहकार और प्रमुख आपातकालीन चिकित्साके अनुसार, “भारत में टीबीआई की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। देश में हर साल लगभग 500,000 लोग इसके शिकार होते हैं। देश में टीबीआई के 71% मामले माइल्ड होते हैं। हालाँकि इस तरह की चोट आम बात है, लेकिन कई लोग इस बात को नहीं समझते कि सिर पर चोट लगने के काफी गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं। टीबीआई गंभीर हो सकता है। अगर सही समय पर इसकी पहचान ना की जाए और सही इलाज ना मिले तो लंबे समय में इसके बुरे परिणाम हो सकते हैं। इस स्थिति में लोगों के लिए मस्तिष्क आघात के लक्षणों को जानना और इन स्थितियों में तुरंत निदान और इलाज कराना बहुत जरूरी होता है।”

ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी (टीबीआई) से जुड़े कई मिथक हैं। आइए इससे जुड़ी 5 आम गलतफहमियों की पहचान करें। 

मिथक 1:  माइल्ड टीबीआई वाले लोग बेहोश हो जाते हैं।

सच यह है कि मामूली टीबीआई होने पर अधिकांश लोग बेहोश नहीं होते। लेकिन कुछ लोगों में सिरदर्द, असंतुलन, नज़र में बदलाव आना, मितली या उल्टी जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। आपके सिर में चोट लगने के बाद अगर ऐसे लक्षण दिखते हैं तो इसको कतई नजरअंदाज नहीं करें। अक्सर इस तरह के कुछ लक्षण खराब नींद या माइग्रेन से जुड़े हो सकते हैं। ऐसे में आप टीबीआई के बाद दिखने वाले इन लक्षणों को यह मान कर अनदेखा न करें कि इसकी वजह माइग्रेन या नींद की कमी हो सकती है। अगर आपको आँखों के सामने कुछ झिलमिल करता दिख रहा हो, तो आप किसी तरह की लापरवाही न बरतें और तुरंत जाँच करवाएं।

मिथक 2: टीबीआई केवल सिर पर चोट लगने पर ही होता है।

56% लोगों का मानना है कि इस तरह की चोट सिर्फ सिर के टकराने से लगती है। लेकिन सच यह है कि शरीर में अचानक कंपन या झटका लगने से भी इस तरह की चोट लग सकती है। अचानक हुआ कंपन और एकाएक लगने वाला झटका मस्तिष्क को झकझोर सकता है। व्हिपलैश (सिर के अचानक पीछे और फिर आगे आने से होने वाली गर्दन की मोच) से भी टीबीआई हो सकता है। कार के टकराने पर अक्सर इसमें बैठने वालों को व्हिपलैश का डर रहता है। किसी कठोर सतह से टकराने या ऊँचाई से गिरने पर भी इस तरह का खतरा हो सकता है।   

मिथक 3: एथलीटों को टीबीआई होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है।

इस तरह की चोट के मामले सिर्फ एथलीटों (खिलाड़ियों) में ही देखने को नहीं मिलते। यह कहीं भी, किसी को भी हो सकती हैं। भारत में आमतौर पर सड़क दुर्घटनाओं और गिरने के कारण इस तरह की चोट लगती है। ऐसी चोट के अल्पकालिक या दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि आप खिलाड़ी नहीं हैं तो भी सही समय पर चिकित्सीय सहायता लें।

मिथक 4: चोट लगने के बाद आपको 24 घंटे तक जागते रहना चाहिए।

अगर आप हल्के टीबीआई के शिकार होते हैं तो इसके बाद खुद को जागते रहने के लिए मजबूर करने की कोई जरूरत नहीं है। आराम और नींद वास्तव में आपके ठीक होने के लिए जरूरी है। आपको समस्या के निदान के लिए अपने डॉक्टर से भी सलाह लेनी चाहिए और उसकी सिफारिशों का पालन करना चाहिए। 

मिथक 5: माइल्ड टीबीआई का पता लगाने के लिए पूरी तरह से हेड इमेजिंग परीक्षणों (जैसे कि सीटी स्कैन) पर भरोसा किया जा सकता है।

सीटी स्कैन टीबीआई की पहचान करने में मदद कर सकता है। लेकिन मस्तिष्क की हल्की चोटें कभी-कभी इस तरह की स्कैनिंग से पकड़ में नहीं आतीं। नतीजतन, इनका इलाज नहीं हो पाता। अब, खून की जाँच से भी मस्तिष्क की चोटों की जाँच करने में मदद मिल सकती है।

कई बार नियमित गतिविधियों के दौरान मस्तिष्क पर हल्की चोट लग जाती है। इसे नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा लोगों को सिर की चोट, इसके दुष्परिणामों, लक्षणों, इसकी जाँच और इलाज के बारे में जागरूक करने की जरूरत है। क्योंकि ऐसी चोटों का शीघ्र निदान और उपचार करना बहुत ही जरूरी होता है।

अगर आपका सिर कहीं टकराया है तो आपको कोई छुपी चोट लग सकती है। ऐसे में लापरवाही न बरतें और सही स्थिति की जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श लें और जाँच करवाएं। इससे आपको मस्तिष्क आघात की परेशानी और दर्द से उबरने में मदद मिलेगी और आप वह सब कुछ कर सकेंगे जो एक खुशहाल जीवन के लिए करना चाहते हैं।