पूरे देश के साथ पश्चिम बंगाल में भी कोविड-19 महामारी बेकाबू रफ्तार से बढ़ रही है। यहां पॉजिटिव होने की दर 25 फ़ीसदी से ज्यादा है जो पूरे देश की तुलना में सबसे अधिक है। हालात को भांपते हुए हुए राज्य सरकार ने भी निवारक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से निर्देशिका जारी की गई है जिसमें सभी स्वास्थ्य कर्मियों की छुट्टियां रद्द करने की घोषणा की गई है। इसमें अस्पताल में काम करने वाले सफाई कर्मी से लेकर नर्स, अटेंडेंट, चिकित्सक, लैब असिस्टेंट और अन्य कर्मचारी शामिल हैं। नई निर्देशिका के मुताबिक स्वास्थ्य कर्मियों को रविवार को छुट्टी वाले दिन भी ड्यूटी पर हाजिर होना होगा।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार रात जारी हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक पश्चिम बंगाल में 24 घंटे के दौरान पॉजिटिव होने वाले लोगों की संख्या करीब 10,000 है जो चिंता की बात है। महज 40 हजार के करीब सैंपल जांचे जा रहे हैं जिनमें से 10 हजार लोगों के पॉजिटिव होने के मायने हैं हर 100 में से 25 लोगों का इस महामारी की चपेट में आना। यह डराने वाले हालात हैं क्योंकि 25 लोगों से 100 में महामारी के फैलने में वक्त नहीं लगेगा। चिंताजनक हालात ऐसे हैं कि राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में बेड फुल हैं। बाहर पॉलिथीन बिछाकर मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है। प्राइवेट अस्पतालों की भी एक ही हालत है। सबसे बुरी दशा उन कोविड मरीजों की है जिनका ऑक्सीजन लेवल कम है और राज्य के किसी भी अस्पताल में आईसीयू बेड की उपलब्धता नहीं है। इस बीच चुनाव प्रचार और भीड़ के कारण महामारी लगातार बढ़ती ही जा रही है लेकिन राजनीतिक नेताओं के कार्यक्रमों पर कोई लगाम नहीं है। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी खुद को घोषित करने वाली भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा समेत अन्य नेताओं की मैराथन रैलियों को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके अलावा चुनाव आयोग भी प्रचार बंद करने का कड़ा निर्णय लेने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है जिसकी वजह से लोगों की जान और अधिक खतरे में धकेली जा रही है। ऐसे में एक बार फिर कोविड-19 के घातक वार के सामने ढाल की तरह खड़े होकर पहली पंक्ति से जंग लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की छुट्टियां रद्द करना इस बात का संकेत है कि महामारी कितनी बेकाबू हो चुकी है।