पूरी दुनिया में खाद्य सामग्री, दूसरी चीज़ों, कच्चे तेल और बिजली की क़ीमतें बढ़ रही हैं, यहां तक कि रोज़ाना इस्तेमाल होने वाली चीनी और चाय भी अब पहले के मुक़ाबले महंगी हो गई है. कई देशों में सालों तक महंगाई कम थी, लेकिन कोरोना महामारी के दौर में जिस तरह से महंगाई बढ़ी वैसा बीते दशक भर में नहीं देखा गया. महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाती हैं, लेकिन ये दोधारी तलवार की तरह है और इससे अर्थव्यवस्था में सुस्ती आने का ख़तरा भी होता है. चिंता ये है कि महामारी से उबर रही अर्थव्यवस्थाओं के लिए कहीं ये क़दम ख़तरनाक न साबित हो.
तो इस बार दुनिया जहान में पड़ताल इस बात की कि क्या हाल के वक्त में महंगाई का बढ़ना अस्थाई प्रक्रिया है और क्या नीति निर्धारकों को इस पर काबू पाने के लिए क़दम उठाने की ज़रूरत है.