टोक्यो ओलंपिक: भारतीय निशानेबाज़ों के साथ आख़िर हो क्या रहा है?

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भारतीय निशानेबाज़ मनु भाकर और सौरभ चौधरी टोक्यो ओलंपिक के मिक्स्ड इवेंट में अपने प्रदर्शन में सुधार करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन असाका शूटिंग रेंज में सभी चारों भारतीय टीमें फ़ाइनल में नहीं पहुँच पाईं. मनु भाकर और सौरभ चौधरी की टीम ने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में हिस्सा लिया और पहले क्वॉलिफ़िकेशन राउंड में वो पहले स्थान पर थे. लेकिन दूसरे क्वालिफ़िकेशन राउंड में वो सातवें नंबर पर रहे और मेडल पाने का मौका चूक गए क्योंकि सिर्फ़ टॉप-4 में आने वाले खिलाड़ियों को मेडल की स्पर्धा में शामिल होने का मौका मिलता है. सौरभ चौधरी ने 194 अंक जुटाए और मनु भाकर को सिर्फ़ 186 अंक ही मिल सके. भारत की दूसरी टीम यानी यशस्विनी देसवाल और अभिषेक वर्मा 20 टीमों की स्पर्धा में 17वें स्थान पर रहे. बाद में राइफ़ल शूटर्स भी क्वॉलिफ़ाइंग राउंड में बाहर हो गए.

शूटिंग टीम के पास मानसिक प्रशिक्षक नहीं

मनु भाकर और सौरभ चौधरी दोनों ने कहा कि उनसे जो हो सका, उन्होंने किया लेकिन इतना काफ़ी नहीं था.

मनु ने स्वीकार किया वो दबाव में थीं. उन्होंने कहा, “कई बार चीज़ें हमारे काबू में नहीं होतीं. मुझे लगता है कि मैंने उम्मीद में कुछ ज़्यादा ही कोशिश कर ली.”

इस मौके पर भारतीय टीम के सपोर्ट स्टाफ़ में जो एक महत्वपूर्ण सदस्य नहीं है, वो है- विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिक या मानसिक प्रशिक्षक.

इसे लेकर कुछ जानकार हैरान हैं क्योंकि निशानेबाज़ी काफ़ी हद तक एक मनोवैज्ञानिक खेल भी है.

नेशनल राइफ़ल असोसिएशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष रनिंदर सिंह ने बताया कि भारतीय शूटिंग टीम के पास मनोवैज्ञानिक क्यों नहीं है.

उन्होंने कहा, “आपको मालूम है कि खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाओं की एक सीमा है. मुझे पाँच सपोर्ट स्टाफ़ की मंज़ूरी मिली थी लेकिन इंडियन ओलंपिक असोसिएशन से मैंने सात स्टाफ़ की मंज़ूरी ली. हमारे पास एक फ़िज़ियोथेरेपिस्ट और छह कोच हैं.”

मनु भाकर और पुराने कोच के बीच तनाव की चर्चा

रनिंदर ने इस साल की शुरुआत में मनु भाकर और उनके कोच जसपाल राणा के बीच पैदा हुए तनाव की ओर भी इशारा किया.

उन्होंने कहा, “विश्व चैंपियनशिप के समय से ही निशानेबाज़ों की टीम में आंतरिक कलह थी. मैंने इसे व्यक्तिगत रूप से सुलझाने की कोशिश की थी और टीम के क्रोएशिया निकलने से पहले मैंने उन्हें आठ पन्नों की एक चिट्ठी सौंपी थी. सबने मेरी सलाह का सम्मान किया था.”

रनिंदर ने कहा, “ये तो कोच जसपाल और मनु भाकर ही बेहतर जानते होंगे कि वो साथ काम क्यों नहीं कर सकते. लेकिन टोक्यो में मनु के प्रर्दशन को सिर्फ़ जसपाल की ग़लती नहीं कहा जा सकता. दोनों ने ही इस पर काम नहीं किया. दूसरा शख़्स (मनु भाकर) भी उनके साथ काम करने को तैयार नहीं था.”

जब मनु भाकर से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कोच बदलने का फ़ैसला उनका नहीं था लेकिन उस समय ये सही लगा. मनु ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने अपने मौजूदा कोच या कोचिंग के इंतज़ाम से कोई दिक्कत नहीं है.

मनु भाकर के पास है मेडल का एक और मौका

जसपाल राणा से अलग होने के बाद से मनु भाकर पिस्टल शूटर और कोच रौनक पंडित के साथ ट्रेनिंग कर रही हैं. रौनक इस समय टीम के साथ टोक्यो में ही हैं.

रौनक पंडित के प्रशिक्षण में ही मनु ने वर्ल्ड कप मेडल भी जीते थे. इसलिए यह हैरानी भरा है कि अब उनके पुराने कोच से जुड़े विवाद की चर्चा हो रही है.

अभी के लिए मनु को ये सब भुलाकर अपने गेम पर ध्यान लगाना होगा. उनके पास मेडल जीतने के लिए अब भी एक मौका बचा है.

29 जुलाई को मनु भाकर महिलाओं की 25 मीटर की एयर पिस्टल स्पर्धा में हिस्सा लेंगी.