पश्चिम बंगाल में DGP की नियुक्ति का मामले में ममता बनर्जी सरकार को राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की डीजीपी की नियुक्ति की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया. कोर्ट ने कहा कि आपकी इस तरह की याचिका पहले भी खारिज हो चुकी हैं . आप बार- बार ऐसी याचिका दाखिल मत करिए. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि ये कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. आप यह नहीं कर सकते.हमारे पहले के आदेश में किसी संशोधन की जरूरत नहीं है.पश्चिम बंगाल की ओर से पेश सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि हम सिर्फ अपने राज्य में DGP की नियुक्ति चाहते हैं. इसलिए हमने प्रकाश सिंह मामले में आवेदन दाखिल किया है.
दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि यूपीएससी के पास न तो अधिकार क्षेत्र है और ना ही उसमें किसी राज्य के डीजीपी पर विचार करने और नियुक्त करने की विशेषज्ञता है. सरकार ने कहा है कि यह भारतीय संघीय शासन प्रणाली के अनुरूप नहीं है. ये अर्जी ममता बनर्जी सरकार द्वारा 1986 बैच के एक आईपीएस अधिकारी को राज्य के कार्यवाहक डीजीपी के रूप में नामित करने के एक दिन बाद दाखिल की गई है जबकि नए डीजीपी के चयन को लेकर राज्य और यूपीएससी के बीच खींचतान चल रही है. राज्य सरकार के अनुसार, यूपीएससी ने पद के लिए सुझाए गए नामों की बंगाल सरकार की सूची में कई खामियां निकाल दी है. सरकार ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारें एक अच्छी तरह से परिभाषित क्षेत्र में समन्वय से काम करती हैं. लेकिन उसी समय वो एक दूसरे से स्वतंत्र होती हैं.