घर-घर जाकर स्कूल भेजने के लिए बच्चों के अभिभावकों को कह रहे कालाचांद हाई स्कूल के शिक्षक

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कोरोना संक्रमण को‌लेकर करीब तीन सालों से स्कूली बच्चे शिक्षा से दूर हैं। सरकारी स्कूलों के काफी दिनों से बंद रहने के कारण ग्रामीणों इलाकों के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों ने अब स्कूल से मुंह मोड़ लिया है। यह जानकर पुराने मालदा कालाचांद हाई स्कूल के शिक्षक हतप्रभ हैं। स्कूल के छात्रों में से कुछ कुछ धूपकाठी तो कुछ मछली पकड़ने का जाल बनाने के काम में लग गए हैं।

कोरोना के कारण सभी पढ़ाई-लिखाई भी छोड़ दी है। लेकिन धीरे-धीरे परिस्थितियां सामान्य होने पर विद्यालय खुल गये हैं। लेकिन हैरत की बात है कि इस बारे में ग्रामीण इलाके के क ई परिवार के छात्रों को इस बारे में पता ही नहीं है।
इसी कारण काराचांद हाई स्कूल के हेडमास्टर राहुल रंजन दास, सहायक शिक्षक कमल कृष्ण दास सहित अन्य शिक्षक पुराना मालदा के कुछ इलाकों में बच्चों के घर-घर जाकर स्कूल आने के लिए कह रहे हैं। गुरुवार सुबह पुराने मालदा के कालाचांद हाई स्कूल प्रबंधन के सदस्य क ई इलाकों में गये और वहां उनकी परिस्थिति देख कर उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं। जैसे पुराना मालदा के पालपाड़ा इलाके के छठी कक्षा के छात्र आकाश हाल्दार के घर के परिवार के लोग धूपकाठी के काम में जुट गए हैं। वहीं, दूसरी ओर जोड़ाकालीस्थान इलाके के सातवीं के के छात्र विवेक हाल्दार के परिवार के लोग मछली पकड़ने वाले जाल बनाने के काम में जुट गए हैं। स्कूल के छात्रों के परिवार की ऐसी परिस्थिति देख कर स्कूल प्रबंधन के लोग अबाक रह गये। इधर सरकार के निर्देश के बाद स्कूल खुल चुके हैं और इस बारे में शिक्षकों ने उनके अभिभावकों को बताया और अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कहा।
हालांकि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों का कहना है कि कोरोना के संकट को करीब तीन हो गये हैं, स्कूल बंद थे। कब स्कूल खुले, इस बारे में उन्हें पता‌ नहीं है। इस परिस्थिति में पढ़ाई-लिखाई छोड़कर हम परिवार के रोजी-रोजगार में हाथ बढ़ा‌ रहे थे। अब शिक्षकों ने स्कूल आने को कहा तो हम इस बारे में सोच रहे हैं।
कालाचांद हाई स्कूल के हेडमास्टर राहुल रंजन दास ने बताया कि करीब तीन साल होने को है जब कोरोना को लेकर शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई थी। हालांकि अब राज्य सरकार ने शिक्षा-व्यवस्था को फिर से पटरी पर‌ लाने के लिए स्कूलों को खोलने का निर्देश जारी कर दिया और स्कूल खुल चुके हैं। लेकिन विद्यालय में छात्रों की संख्या बहुत ही कम है। क ई छात्रों के घर जाने पर जब उनकी परिस्थिति को देखा तो थोड़ी घबराहट सी हुई। हालांकि अभिभावकों को स्कूल भेजने का हमनें आवेदन किया है। छात्रों ने स्कूल आने की भी इच्छा जाहिर की है।