तालिबान ने अब कश्मीर सहित दुनिया में कहीं भी मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का अधिकार होने की बात कही है| दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि समूह को कश्मीर सहित कहीं भी मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है| जियो न्यूज की रिपोर्ट में यह कहा गया| जबकि बीबीसी उर्दू के साथ जूम इंटरव्यू में शाहीन ने यह भी कहा कि तालिबान की किसी देश के खिलाफ हथियार उठाने की नीति नहीं है|
शाहीन ने कहा कि मुस्लिम होने के नाते यह समूह का अधिकार है कि वह कश्मीर तथा किसी भी अन्य देश में रह रहे मुस्लिमों के लिए बिल्कुल उसी तरह से आवाज उठाए, जैसे भारत ने अफगान हिंदुओं और सिखों के मुद्दों को उठाया|
रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने एक उदाहरण का हवाला दिया कि कैसे भारत ने अफगानिस्तान के एक पूर्वी प्रांत में एक गुरुद्वारे में एक तालिबानी लड़ाके के जाने का मामला उठाया था|
शाहीन अगस्त की शुरुआत में भारतीय मीडिया रिपोर्टों का जिक्र कर रहे थे कि निशान साहब को अफगानिस्तान के पक्तिया प्रांत में गुरु थला साहिब से हटा दिया गया था|
जबकि विदेश मंत्रालय ने सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की, सरकारी सूत्रों ने इस कृत्य की निंदा की थी|
उन्होंने कहा कि करीब दस दिन पहले एक घटना घटी| किसी ने कहा कि तालिबान से एक व्यक्ति आया था और उन्हें गुरुद्वारे से धार्मिक ध्वज उतारने के लिए कहा था. हालांकि हम अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं हैं. हमने उन्हें अपने धार्मिक रीति-रिवाज पूरी करने की आजादी दी है|
उन्होंने कहा, ‘ठीक उसी तरह हमारे पास ढेर सारे संदेश आए. एक मुसलमान के रूप में हमारा अधिकार है कि अगर कश्मीर में, भारत में या किसी अन्य देश में, मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार किया जाता है तो हम कहेंगे कि देखिए ये मुसलमान आपके लोग हैं, आपके नागरिक हैं| आपके कानून कहते हैं कि सभी समान हैं| उस पर अमल करना चाहिए और उन्हें अधिकार देना चाहिए| हमने पहले भी कहा है और भविष्य में भी ऐसा ही कहेंगे| लेकिन हम कोई सैन्य अभियान नहीं चलाएंगे या किसी देश के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे| यह हमारी नीति नहीं है|’
वहीं, अमेरिका के साथ दोहा समझौते की शर्तों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी ‘किसी भी देश के खिलाफ सशस्त्र अभियान करने की कोई नीति नहीं है|’
शाहीन ने कहा कि हम किसी भी समूह या संस्था को किसी अन्य देश के खिलाफ अफगान धरती का उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे|
इंटरव्यू के दौरान शाहीन से उन आरोपों के बारे में पूछा गया कि हक्कानी नेटवर्क 2008 के भारतीय दूतावास पर हमले के पीछे था और तालिबान शासन के दौरान 1999 में आईसी-814 एयर इंडिया विमान के अपहरण की सुविधा मुहैया कराई थी|
इन सभी मामलों में अपनी भूमिका से इनकार करते हुए शाहीन ने यह भी कहा कि हक्कानी नेटवर्क और तालिबान में कोई अंतर नहीं| उन्होंने कहा कि हक्कानी कोई समूह नहीं हैं| वो अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात का हिस्सा है| वो अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात हैं|
शाहीन ने कहा कि 1999 के अपहरण में तालिबान की कोई भूमिका नहीं थी और उसने भारत सरकार को बंधकों को मुक्त करने में मदद की| भारत को जैश-ए-मोहम्मद के मसूद अजहर समेत तीन आतंकियों को छोड़ना पड़ा था|
शाहीन ने कहा कि अपहरण के दौरान तालिबान की रचनात्मक भूमिका के लिए भारत को आभारी होना चाहिए था|
उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि तालिबान पाकिस्तान के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में काम कर रहा है| उन्होंने कहा, हमारे बारे में भारत की नीति भ्रामक प्रचार पर आधारित है|