अफगानिस्तान में तालिबान शासन का असली चेहरा धीरे-धीरे सामने आ रहा है. वहां, प्राइवेट यूनिवर्सिटी सोमवार से शुरु हो गई हैं, लेकिन इसके लिए कड़े नियम जारी किए गए हैं| कट्टरपंथी समूह ने लड़कियों के कपड़ों, उन्हें कक्षा में कहां और कैसे बैठना है, कौन पढ़ाएगा, यहां तक कि कक्षा कितनी देर तक चलेगी इसको लेकर निर्देश जारी किए हैं| हालांकि, तालिबान ने वादा किया था कि लोगों को एक उदार सरकार दी जाएगी| तालिबान ने मानव अधिकारों का भी वादा किया था, विशेषकर महिलाओं और बच्चों से संबंधित| इनमें महिला छात्राओं को कक्षाओं में हिस्सा लेना की अनुमति भी शामिल थी|
आमाज न्यूज एजेंसी की ओर से जारी तस्वीरों में देखा जा सकता है कि किस तरह से लड़के और लड़कियों में क्लास को बांट दिया गया है|
तालिबान ने अपने फरमान में ये भी लिखा था कि यूनिवर्सिटीज को अपनी सुविधा के हिसाब से छात्राओं के लिए महिला शिक्षकों को भर्ती करने की जरूरत है| ऐसा ना होने पर बुजुर्ग और अच्छे चरित्र वाले पुरुषों को नियुक्त किया जा सकता है| इन तस्वीरों में भी एक प्रोफेसर को पढ़ाते हुए देखा जा सकता है|
बता दें कि तालिबान के फरमान में ये भी कहा गया था कि कॉलेज, यूनिवर्सिटी जैसी जगहों पर पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग एंट्री और एक्जिट होना चाहिए| वहीं, महिलाएं पुरुष छात्रों से 5 मिनट पहले अपना काम निपटा लें ताकि वे पुरुषों से घुलने-मिलने की कोशिश ना करें. इसके अलावा जब तक पुरुष छात्र कैंपस से नहीं निकल जाते, तब तक छात्राओं को वेटिंग रूम में ही रुकना होगा|
गौरतलब है कि तालिबान ने अपने पिछले कार्यकाल में महिलाओं को पढ़ने और नौकरी करने पर ही प्रतिबंध लगा दिया था| इस मामले में एक प्रोफेसर का कहना है कि तालिबान लड़कियों को स्कूल-कॉलेज जाने दे रहे हैं, ये मेरे हिसाब से एक सकारात्मक कदम है|
गौरतलब है कि तालिबान ने साल 1996 से 2001 के बीच अफगानिस्तान पर राज किया था और उस दौर में महिलाओं की आजादी और अधिकारों को छीन लिया गया था| यही कारण है कि तालिबान के दूसरे कार्यकाल में महिलाएं काफी डरी हुई हैं| हालांकि तालिबान का कहना है कि वे इस बार सबके अधिकारों की सुरक्षा करेंगे लेकिन इसके बावजूद अफगानिस्तान में डर का माहौल बरकरार है|