पार्टी के दिग्गजों के गढ़ में भी भाजपा की शर्मनाक शिकस्त, तृणमूल ने लहराया परचम

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वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद अब नगर पालिका चुनाव में भी राज्य भर में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। राज्य में 108 नगर पालिकाओं में हुए चुनाव में से 103 पर पार्टी ने कब्जा जमाया है। इन नगर पालिकाओं में से कई नगर पालिका ऐसी हैं जो भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं का गढ़ रही हैं और पूर्व में यहां भाजपा और सहयोगी दलों का दबदबा रहा है। भाजपा की शर्मनाक शिकस्त और तृणमूल की भारी जीत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी के राज्य अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, वरिष्ठ विधायक तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी और दबंग सांसद अर्जुन सिंह के गढ़ में भी भाजपा अपने वर्चस्व वाले नगरपालिका को गंवा चुकी है। इसके अलावा पूर्व अध्यक्ष रहे दिलीप घोष के खड़गपुर क्षेत्र में भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है। चुनाव परिणाम में कांथी नगर पालिका पर दसकों से अधिकारी परिवार का कब्जा था। वहां से तृणमूल जीत गई है। इसके अलावा सुकांत मजूमदार के आवास वाले क्षेत्र बालूरघाट नगरपालिका पर भी तृणमूल का कब्जा हुआ है। भाजपा के दबंग सांसद अर्जुन सिंह के गढ़ भाटपाड़ा नगरपालिका पर भी तृणमूल का झंडा लहराया है।

राज्य के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का घर कांथी नगर पालिका के तहत ‘शांतिकुंज’ वार्ड नंबर 15 में है। यहां से तृणमूल की तनुश्री चक्रवर्ती भाजपा प्रत्याशी को 228 मतों से हरा चुकी हैं। प्रदेश भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के वार्ड में भी कुछ ऐसा ही हाल है।  सुकांत बालुरघाट से निर्वाचित सांसद भी हैं।  इस बार का चुनाव व्यावहारिक रूप से उनके लिए ‘सम्मान की लड़ाई’ था।   बुधवार को परिणाम घोषित होने के बाद देखा गया कि बालुरघाट नगर पालिका पर भाजपा का कब्जा तो दूर की बात यहां तक कि उनके घर के वार्ड नंबर 22 में भी भाजपा प्रत्याशी तृणमूल से हजारों वोटों से हार गए हैं।

 बैरकपुर से भाजपा सांसद अर्जुन सिंह की हालत शुभेंदु-सुकांत से भी खराब है। उनके ‘किले’ भाटपाड़ा में भाजपा बुरी तरह से हारी है। अर्जुन का घर ‘मजदुर भवन’ भाटपाड़ा नगर पालिका के वार्ड 17 में है।  अर्जुन के भतीजे सौरव सिंह उस वार्ड से भाजपा के उम्मीदवार थे|  लेकिन चुनाव से ठीक पहले वह तृणमूल में शामिल हो गए।  भाजपा का नामांकन वापस लेते हुए सौरव और उनके पिता सुनील सिंह तृणमूल में लौट आए।  नतीजा यह हुआ कि तृणमूल ने अर्जुन के होम वार्ड में बिना किसी मुकाबले के चुनाव जीत लिया।