देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (मनरेगा) के लिए चालू वित्त वर्ष में 86000 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया गया है। यह अब तक का सर्वाधिक बजटीय आवंटन है। कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार के दौरान वित्त वर्ष 2006-07 के लिए बजट आवंटन 11,300 करोड़ रुपये था, जो 2013-14 में बढ़कर 33,000 करोड़ रुपये हो गया। केंद्र में 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद पिछले एक दशक के दौरान मनरेगा के बजट में लगातार इजाफा किया गया। सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान परेशान लोगों की आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2020-21 में इस योजना के तहत रिकॉर्ड 1,11,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2006-07 से वित्त वर्ष 2013-14 के बीच सृजित कुल व्यक्ति दिवस 1660 करोड़ थे, जबकि वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2024-25 के बीच सृजित कुल व्यक्ति दिवस 3029 करोड़ रहे हैं, जो कि 2014 से पहले के दशक की तुलना में 82 प्रतिशत अधिक है। इस प्रक्रिया में 2014-15 से 2024-25 तक के पिछले 10 वर्षों में केंद्र सरकार ने 7,81,302 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 8.07 करोड़ ग्रामीण परिसंपत्तियों का निर्माण हुआ है। हालांकि, 2006-07 से 2013-14 तक के पिछले दशक में केवल 2,13,220 करोड़ रुपये जारी किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप 1.53 करोड़ ग्रामीण परिसंपत्तियों का निर्माण हुआ था। पिछले 10 वर्षों में सरकार के बढ़ते प्रयासों से ग्रामीण परिसंपत्तियों के निर्माण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो कि जियोटैग की गई और बेहतर गुणवत्ता वाली ग्रामीण परिसंपत्तियों में 526 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि स्पष्ट है। इसके अलावा, महिला सशक्तीकरण पर निरंतर ध्यान देने के कारण महिलाओं की भागीदारी वित्त वर्ष 2013-14 में 48 प्रतिशत से बढ़कर चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 58 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
मंत्रालय के अनुसार मनरेगा के तहत 266 कार्य अनुमत हैं, जिनमें से 150 कार्य कृषि से संबंधित हैं, 58 प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से संबंधित हैं और 58 कार्य ग्रामीण इन्फ़्रास्ट्रक्चर के हैं। योजना के तहत विभिन्न जल संबंधी कार्य जैसे चेक डैम, खेत तालाब, सामुदायिक तालाब, सिंचाई के खुले कुएं आदि शुरू किए गए हैं। जल संरक्षण पर सरकार के निरंतर जोर ने उल्लेखनीय परिणाम दिए हैं। एक और बड़ी सफलता मिशन अमृत सरोवर के रूप में मिली है, जिसके कारण पहले चरण में देश में 68,000 से अधिक अमृत सरोवर बनाए गए हैं। वर्तमान में, मिशन अमृत सरोवर के दूसरे चरण को सामुदायिक भागीदारी, जनभागीदारी, के साथ जल उपलब्धता पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करते हुए शुरू किया गया है।
एबीपीएस (आधार आधारित भुगतान प्रणाली) या एनएमएमएस (राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली) के बारे में मंत्रालय ने साफ किया है कि इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए ये प्रमुख सुधार प्रक्रियाएं रही हैं। मसलन, एबीपीएस बेहतर लक्ष्यीकरण, प्रणाली की दक्षता बढ़ाने और बैंक खाते में बार-बार बदलाव के कारण होने वाले भुगतान में देरी को कम करने में मदद करता है। आज की तारीख तक मनरेगा के तहत 13.45 करोड़ (99.49%) सक्रिय श्रमिकों के लिए आधार सीडिंग का काम पूरा हो चुका है, जबकि 2014 में केवल 76 लाख श्रमिकों के लिए आधार सीडिंग की गई थी। इसी तरह, एनएमएमएस ने मनरेगा के कार्यान्वयन में पारदर्शिता बढ़ाई है। एनएमएमएस के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक रियल-टाइम उपस्थिति कैप्चरिंग ने मस्टर रोल के समय पर निर्माण के साथ-साथ फर्जी उपस्थिति को खत्म करने को सुव्यवस्थित किया है। इसके अलावा असाधारण परिस्थितियों में, क्षेत्र स्तर पर मैनुअल उपस्थिति को मंजूरी देने का प्रावधान है। जनमनरेगा मोबाइल ऐप के साथ-साथ इस कार्यक्रम की नागरिक निगरानी में काफी वृद्धि हुई है। इसके अलावा सामाजिक लेखा परीक्षा, क्षेत्र अधिकारी ऐप के माध्यम से निरीक्षण और अन्य हस्तक्षेपों पर अधिक ध्यान देने के परिणामस्वरूप एक मजबूत निगरानी ढांचा तैयार हुआ है जो 2014 से पहले नहीं था।