केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बुधवार को स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) ‘विक्रांत’ के समुद्री परीक्षणों की शुरुआत की सराहना करते हुए कहा कि आईएसी का डिजाइनिंग और निर्माण देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार सोनोवाल ने कहा कि ‘विक्रांत’ का समुद्री परीक्षण शुरू करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को सही मायने में प्रतिबिंबित करता है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री ने देश को गौरवान्वित करने के लिए कोचीन शिपयार्ड और भारतीय नौसेना को भी बधाई दी। बयान में कहा गया कि अगस्त 2013 में मंत्रालय के मजबूत समर्थन से कोचीन शिपयार्ड के बिल्डिंग डॉक से आईएसी के निर्माण की शुरुआत ने देश को एक विमानवाहक पोत के डिजाइन और निर्माण में सक्षम राष्ट्रों की महत्वपूर्ण श्रेणी में पहुंचा दिया था।
विक्रांत को इसके विमानन परीक्षण पूरे करने के बाद, अगले साल की दूसरी छमाही में भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है। इसे करीब 23,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है। इसका वजन 40,000 टन है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर करीब 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इस पर 30 लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत पर मिग-29के लड़ाकू विमानों और केए-31 हेलिकॉप्टरों का एक बेड़ा तैनात किया जाएगा।
इंडियन नेवी के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल में यह एक गौरवान्वित करने वाला और ऐतिहासिक क्षण है। खास बात यह है कि ‘विक्रांत’ नाम के ही एक एयरक्राफ्ट कैरियर ने 50 साल पहले 1971 के भारत-पाक युद्ध में हिंदुस्तान की जीत में अहम भूमिका निभाई थी।