अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं बाघंबरी मठ के महंत रहे नरेंद्र गिरि को बुधवार दोपहर प्रयागराज में भू-समाधि दी गयी है. निरंजनी अखाड़े से जुड़े महंत नरेंद्र गिरि ने सोमवार 20 सितंबर को प्रयागराज के बाघंबरी मठ में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी. लेकिन उनके क़रीबी सहयोगियों और मित्रों ने इसे आत्महत्या मानने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही उनके द्वारा कथित तौर पर लिखे गए सुसाइड नोट को भी फर्जी करार दिया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच के लिए 18 लोगों का एक विशेष जाँच दल बनाया है. साथ ही सीबीआई जाँच की भी सिफ़ारिश की गई है. उत्तर प्रदेश पुलिस इस मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए बेहद संभल-संभल कर जानकारी दे रही है.
लेकिन अब तक मिली जानकारी के मुताबिक़, उत्तर प्रदेश पुलिस ने महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि को गिरफ़्तार कर लिया है.
उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने बताया है कि “आनंद गिरि के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज कर लिया है.”
प्रशांत कुमार ने बताया है कि महंत नरेंद्र गिरि द्वारा लिखे गए कथित सुसाइड नोट में आनंद गिरि का ज़िक्र है.
इस मामले में नरेंद्र गिरी के गनर अजय सिंह, आद्या तिवारी, संदीप तिवारी समेत कुछ अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया है. और पुलिस इन लोगों से पूछताछ कर रही है.
लेकिन इस मामले में जैसे-जैसे नई जानकारी सामने आ रही है, वैसे-वैसे महंत नरेंद्र गिरि की मौत से जुड़ी पहले उलझती जा रही है.
सवाल 1 – ये सुसाइड नोट है या वसीयतनामा?
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल महंत नरेंद्र गिरि द्वारा कथित रूप से लिखे गए सुसाइड नोट पर उठाया जा रहा है.
यूपी पुलिस ने कहा है कि इस कथित सुसाइड नोट की प्रमाणिकता को सिद्ध करने के लिए फ़ोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है.
लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि सुसाइड नोट है या वसीयत नामा है.
सालों तक क्राइम बीट संभालने वाले वरिष्ठ पत्रकार रतिभान त्रिपाठी मानते हैं कि ये एक अजीब तरह का विरोधाभास है.
वह कहते हैं, “इस कथित सुसाइड नोट को दो तिथियों में लिखा गया है, पहला हिस्सा काले पैन से 13 सितंबर को लिखा गया है. फिर दूसरा हिस्सा 20 तारीख़ को नीले पैन से लिखा गया है. एक सवाल ये उठता है कि क्या कोई व्यक्ति आत्महत्या की इतनी लंबी-चौड़ी तैयारी करेगा? कि वह एक हफ़्ते का फासला ले. और हर पेज पर दस्तख़त भी करता चले, जैसे कि वह कोई सुसाइड नोट नहीं वसीयतनामा लिख रहा हो. इस कथित नोट में ये बताया गया है कि उनके शरीर को फलां जगह पर समाधिस्ठ किया जाए. फलां शिष्य के पास चाभी है जो फलां को दे दी जाए.”
बता दें कि लगभग सात से आठ पन्ने लंबे इस कथित सुसाइड नोट में पैसे के लेनदेन का ज़िक्र होने की ख़बरें भी आ रही हैं.
सवाल 2 – एफआईआर में सुसाइड नोट का ज़िक्र क्यों नहीं?
इस मामले में बाघंबरी मठ के व्यवस्थापक अमर गिरि द्वारा प्रयागराज के जॉर्ज टाउन इलाके में एफआईआर दर्ज कराई गई है.
एफआईआर में नरेंद्र गिरि के शिष्य रहे आनंद गिरि पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. लेकिन इस एफआईआर में सुसाइड नोट मिलने का ज़िक्र नहीं किया गया है.
बताया जा रहा है कि इस कथित सुसाइड नोट में आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी का नाम भी शामिल है. लेकिन एफआईआर में इन दोनों का ज़िक्र नहीं है.
हालांकि, पुलिस ने आद्या प्रसाद तिवारी एवं उनके बेटे समेत कई लोगों को हिरासत में लिया है.
सवाल 3 – क्या नरेंद्र गिरि ये नोट लिखने में सक्षम थे?
महंत नरेंद्र गिरि के क़रीबी लोगों ने उनकी मौत के बाद सामने आए कथित सुसाइड नोट पर सवाल उठाया है.
प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोकी यादव बताते हैं, “महंत नरेंद्र गिरि के क़रीबी लोगों ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि महाराज जी इतना लंबा नोट नहीं लिख सकते थे. उनके बेहद क़रीबी मित्र और महंत हरि गिरि ने कहा है कि वह उनको अच्छी तरह जानते थे और वह इतना लंबा नोट लिख ही नहीं सकते थे.”
बताया जाता है कि नरेंद्र गिरि की औपचारिक पढ़ाई काफ़ी कम रही थी जिसकी वजह से उन्हें हस्ताक्षर करने में भी काफ़ी समय लगता था.
ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि वह इतना लंबा सुसाइड नोट कैसे लिख सकते थे.
त्रिपाठी बताते हैं, “एक सवाल ये है कि जो व्यक्ति इतना पढ़ा लिखा ही न हो कि इतना लंबा-चौड़ा लिख पढ़ सके तो वह इतना लंबा नोट कैसे लिख सकता है.”
सवाल 4 – बलबीर गिरि ने क्यों बदला बयान
इस कथित सुसाइड नोट में नरेंद्र गिरि ने बलबीर गिरि को महंत बनाने की अपील की थी.
नरेंद्र गिरि की मौत के बाद बलबीर गिरि ने कहा कि “जहां तक मैंने वो राइटिंग देखी है, जो लेख लिखे हुए हैं, वो गुरुदेव के हाथ के अक्षर हैं.”
लेकिन इसके कुछ समय बाद वह अपने बयान से पलट गए और एक अन्य वीडियो में वह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि वह नरेंद्र गिरि की हैंडराइटिंग को “नहीं पहचानते हैं.”
इसके साथ ही निरंजनी अखाड़ा ने भी इस सुसाइड नोट को फर्ज़ी करार दिया है.
अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने कहा है, “अगर सुसाइड नोट की बात करें तो वह तो फर्ज़ी है.”
सवाल 5 – किसने दी हरिद्वार से सूचना?
कथित सुसाइड नोट में लिखा गया है कि नरेंद्र गिरि को हरिद्वार से सूचना मिली थी कि उनके शिष्य आनंद गिरि कोई वीडियो जारी करके नरेंद्र गिरि को अपमानित कर सकते हैं.
बाघंबरी मठ से लेकर नरेंद्र गिरि को क़रीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय मानते हैं कि हरिद्वार वाली कड़ी पर अब तक कोई बात नहीं हो रही है.
वे कहते हैं, “बताया जा रहा है कि नरेंद्र गिरि ने कथित सुसाइड नोट में लिखा है कि किसी ने हरिद्वार से उन्हें सूचना दी कि आनंद गिरि उनका कोई वीडियो वायरल कर सकते हैं.
सवाल ये है कि वह कौन है जिसने नरेंद्र गिरि जी को ये सूचना दी. उन्होंने इतने लोगों के नाम विस्तार से लिखे हैं. तो इस सूचना देने वाले शख़्स का नाम क्यों नहीं दिया.”
इसके साथ ही बाघंबरी मठ के ज़मीन विवाद, क्राइम सीन से जुड़े सवाल जैसे नरेंद्र गिरि का गेस्ट रूम में पाया जाना और पुलिस की ग़ैरमौजूदगी में नरेंद्र गिरि का शव उतारा जाना आदि शामिल हैं.