कोल्ड स्टोरेज की कमी व प्राकृतिक आपदा, दोहरी मार झेल रहे किसान

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खेतों में बारिश का पानी जमने से आलू सड़ने की चिंता से आलू किसानों की नींद उड़ी हुई है। आलू के बॉंड पाने को लेकर आलू किसान हाहाकार मचा रहे हैं। आरोप है कि मूल रूप से आलू किसानों को बांड नहीं मिल रहा है बल्कि अवैध रूप से व्यवसायियों के एक वर्ग को बांड मिल रहे हैं, जिससे जिले भर के विभिन्न कोल्ड स्टोरेज के सामने पहले ही अफरा-तफरी मच गई है। कृषि विपणन के जिला अधिकारी सुब्रत डे ने और कोल्ड स्टोरेज बनवाने की काफी जरूरत बताई। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार लगातार बारिश के कारण जलपाईगुड़ी सदर प्रखंड के पहाड़पुर, बहादुर, बेलाकोबा, बेरुबाड़ी ग्राम पंचायतों, बनारहाट प्रखंड के धूपगुड़ी व संकवाझोरा एक ग्राम पंचायत के कई इलाकों में आलू के खेत पानी में डूब गये। आलू किसानों द्वारा उत्पादित आलू खेत में पानी में डूब गया। स्वाभाविक रूप से, आलू किसान चिंतित हैं। पैदावार ज्यादा है लेकिन किसानों को आलू के सही दाम नहीं मिल रहे हैं। साथ ही कोल्ड स्टोर में आलू बांड की कालाबाजारी के भी आरोप हैं। उसके ऊपर, खराब मौसम के कारण किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
अभी तक 50 फीसदी किसान जमीन से आलू नहीं निकाल पाये हैं। उपर से ये प्राकृतिक आपदाएँ।
जिला कृषि विपणन विभाग के अधिकारी सुब्रत डे ने बताया कि वर्तमान में जिले के विभिन्न कोल्ड स्टोरेज में लोडिंग शुरू हो गई है। जिले के 24 कोल्ड स्टोरेज में कुल भंडारण क्षमता 4 लाख 11 हजार मीट्रिक टन है। जिले में आलू का उत्पादन करीब 14 लाख मीट्रिक टन है। उस हिसाब से केवल 30% भंडारण क्षमता है। और अधिक कोल्ड स्टोरेज बनवाने की जरूरत है। वहां मौजूद निजी निवेशकों से बात हो रही है। ताकि अगले साल कई और कोल्ड स्टोरेज बनाए जा सकें। आशा है समस्या का समाधान होगा।
जिला परिषद अध्यक्ष उत्तरा बर्मन ने कहा कि इस बार आलू की कीमत नहीं मिल रही है। इतनी कम कीमत में किसान नहीं बेच सकते हैं। जिसके लिए किसान भाई आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखना चाहते हैं। ताकि खर्चा निकल जाए। फिलहाल आलू बेचने से किसानों की लागत नहीं निकल पाएगी। हम पंचायत प्रधान के माध्यम से भी बांड दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ हद तक समस्या के समाधान का प्रयास किया जा रहा है।