केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में 20,000 से ज़्यादा बिजली कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. इसके बाद जम्मू में प्रशासन ने बिजली समेत आवश्यक सेवाओं को सुचारु रूप से बहाल करने के लिए सेना की मदद मांगी है. बिजली विभाग के कर्मचारी निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर हैं. ये हड़ताल शनिवार को शुरू हुई. इसके चलते जम्मू कश्मीर के 20 ज़िलों में बिजली आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित है.
प्रशासन ने जम्मू संभाग के 10 ज़िलों में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सेना से मदद मांगी है. वहीं, कश्मीर घाटी में लोग अपनी दिक्कतों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मामले को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और दूसरे राजनीतिक दल भी प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. कड़ाके की ठण्ड के बीच पूरे जम्मू संभाग में सेना की तकनीकी टीम की मदद से बिजली आपूर्ति सुचारु करने की कोशिश की जा रही है. सरकार ने सोमवार तक बिजली आपूर्ति बहाल हो जाने का भरोसा दिया है.
कर्मचारी पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (पीडीडी) कॉर्डिनेशन कमेटी के आह्वान पर हड़ताल कर रहे हैं. सेना से मदद मांगने के फ़ैसले से सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों को कड़ा संदेश देने की कोशिश की है कि वह आसानी से बिजली विभाग के कर्मचारियों के दबाव में नहीं आएंगे.
सरकार द्वारा उठाए गए इस क़दम के बाद हड़ताली कर्मचारियों ने सरकार को चेताया है कि वो झुकेंगे नहीं और सभी मांगों के पूरा होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. जम्मू संभाग के मंडलायुक्त डॉ राघव लंगर ने रविवार देर शाम मीडिया से कहा है कि सरकार ने बिजली कर्मचारियों के साथ बातचीत की है और मामले के समाधान के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए कर्मचारियों की पेंशन, नियमितकरण, वेतन वृद्धि और अन्य सेवा सम्बन्धी मामलों पर चर्चा की जा रही है. वहीं जम्मू विद्युत वितरण निगम के एमडी शिव अनंत त्याल ने जम्मू संभाग में बिजली आपूर्ति व्यवस्था के बारे में बताया,”12 ट्रांसमिशन और 1096 डिस्ट्रीब्यूशन फ़ीडरों से बिजली की आपूर्ति की जाती है, जिसमें आधे से ज़्यादा फ़ीडर चालू किये जा चुके हैं बाकी सोमवार तक चालू करने की कोशिश की जा रही है.”
कर्मचारियों की मांगों पर उन्होंने कहा, ”बिजली क्षेत्र के सुधारों को लेकर जारी आदेश के मुताबिक राज्यों में अलग-अलग बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन वितरण कंपनियां होंगी इसलिए वेतन का आतंरिक लेखा अलग अलग किया जाएगा, पुरानी व्यवस्था को लागू करना संभव नहीं होगा.”
पीडीडी कॉर्डिनेशन कमेटी के महासचिव सचिन टीकू का कहना है कि निजीकरण किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा.
उन्होंने कहा, “हमारी माँग है कि सरकार अपना फ़ैसला वापस ले. निजीकरण के चलते सारा काम ठेके पर जाएगा जिसकी वजह से कर्मचारियों को सेवा लाभ नहीं मिल सकेंगे. यही वजह है लाइनमैन से लेकर वरिष्ठ इंजीनियर हड़ताल पर हैं.”