ग्लेनमार्क ने भारत का पहला व्हाट्सएप आधारित चैटबॉट “हैलो स्किन” लॉन्च किया

इनोवेशन पर लगातार ध्यान देने वाली वैश्विक दवा कंपनी, ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (ग्लेनमार्क), नेआईएडीवीएल (इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट, वेनेरोलॉजिस्ट और लेप्रोलॉजिस्ट) के सहयोग से एक डिजिटल रोगी शिक्षा उपकरण, “हैलो स्किन” विकसित किया है, जो भारत में डर्मेटोफाइटोटिस (रिंग वर्म या टिनिया) से अनुशंसित उपचार अवधि (रेकमेंडेड ट्रीटमेंट ड्यूरेशन) का पालन करने में पीड़ित रोगियों की मदद की जा सकती है।

“हैलो स्किन” पहला व्हाट्सएप आधारित चैटबॉट है, जो रोगियों को न केवल दैनिक पिल रिमाइंडर्स के साथ टॉपिकल/सिस्टैमैटिक रेकमेंडेड थिरेपी के पालन में सुधार करने में मदद करता है, बल्कि रोग के प्रति जागरूकता पैदा करने में भी सहायक है और रिंगवर्म से पीड़ित रोगियों को स्किनकेयर टिप्स प्रदान करता है। यह प्लेटफॉर्म रोगी के अनुकूल है तथा हिंदी और अंग्रेजी सहित 6 विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगा, जिससे टेक्नोलॉजी को लेकर रोगी में बेहतर स्वीकृति बनेगी।

डिजिटल रोगी शिक्षा उपकरण के विकास पर, श्री आलोक मलिक, ग्रुप वाइस प्रेसिडेंट एवं हेड, इंडिया फॉर्म्युलेशन, ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने कहाकि “बेहतर रोग प्रबंधन के लिए डिजिटल रोगी समावेशीकरण भविष्य का हेल्थकेयर है। ‘हैलो स्किन’ इस दिशा में एक पहल है और यह रोग के बारे में शिक्षा देने और रोगी को फंगल थिरेपी के पालन में सुधार करने में मदद करेगी। इस इनोवेटिव सॉल्यूशन को विकसित करने के लिए ग्लेनमार्क के साथ आईएडीवीएल का सहयोग त्वचा विशेषज्ञों (डर्मेटोलॉजिस्ट) और रोगियों के बीच इसकी विश्वसनीयता को बढ़ाता है।

नई पहल का समर्थन करते हुए, डॉ. रश्मि सरकार, प्रेसिडेंट, आईएडीवीएल ने बताया कि “उपचार पालन को बढ़ावा देना, विशेष रूप से फंगल संक्रमण के प्रबंधन में, एक प्राथमिक उद्देश्य है। “हैलो स्किन’ फंगल संक्रमण से पीड़ित रोगियों में नैदानिक परिणामों में सुधार लाने वाली डिजिटल पहल होगी, जो रोगियों को उनकी उपचार प्रक्रिया में भागीदार बनाएगी।

भारत में डर्मेटोफाइटोटिस (जिसे अक्सर रिंग वर्म कहा जाता है) का हाल ही में प्रसार 78.4%तक पहुंच गया है।1इसके अलावा, हाल के दिनों में इलाज के नजरिये से देखें तो यह सबसे कठिन संक्रमणों में से एक बन गया है, जिसमें रोगियों ने इसके साथ जुड़ी सामाजिक वर्जनाओं के कारण अवसाद और अलगाव की भावनाओं की शिकायत दर्ज कराई है।

डॉ. ललित गुप्ता, चेयरपर्सन, आईएडीवीएल एकेडमीने कहा कि “डर्मेटोफाइटोटिस के बारे में, जिसे अक्सर रिंग वर्म कहा जाता है, जागरूकता पैदा करना, महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फंगल संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है, और रोगी आसानी से निराशा से ग्रसित हो जाता है। सफल उपचार के लिए रोगियों को समय पर ढंग से अनुशंसित चिकित्सा (रेकमेंडेड थिरेपी) का पालन करने की जरूरत होती है। आज डिजिटलाइजेशन हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है, इसलिए मुझे लगता है कि यह चैटबॉट मरीजों की मदद करने का एक नया तरीका है।”

त्वचा विशेषज्ञों का कहना है कि वे बीमारी की बार-बार होने वाली प्रकृति से परेशान हैं। हालांकि कई मौखिक और सामयिक उपचार विकल्प उपलब्ध हैं, फिर भी उपचार के लिए त्वचा विशेषज्ञ रोगियों द्वाराउपचार को लेकर अनुपालन के महत्व पर जोर दे रहे हैं और रोग के सफल उपचार के लिए स्टेरॉयड के दुरुपयोग से बचना आवश्यक बता रहे हैं। हालांकि, इन चेतावनियों के बावजूद, खुजली से राहत मिलने पर मरीज़ अक्सर उपचार बंद कर देते हैं। ग्लेनमार्क ने इस प्लेटफॉर्म को देश भर के त्वचा विशेषज्ञों के लिए पेश किया है, जो अपने रोगियों को रिंग वर्म के प्रभावी निपटारे के लिए इसकी सिफारिश कर सकते हैं। “हैलो स्किन” चैटबॉट थेरेपी की अनुशंसित अवधि के दौरान रोगी द्वारा किए जा रहे अनुपालन में मदद करेगा।

फंगल संक्रमण त्वचा या सिर की त्वचा का एक अत्यधिक संक्रामक संक्रमण है और इसमें शरीर या चेहरे पर कहीं भी रिंग जैसे चकत्ते हो जाते हैं। यह संक्रमित त्वचा या फंगल बीजाणुओं के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। ये बीजाणु फैब्रिक पर जीवित रह सकते हैं, जिसमें कपड़े, सोफे कुशन, बिस्तर, और अन्य छेदों वाली सतहें शामिल हैं। वे नम वातावरण जैसे सार्वजनिक स्नान घरों और लॉकर रूम में भी पनपते हैं।

By Business Correspondent

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *