विश्व टीकाकरण सप्ताह 2022 की थीम इस बार लंबे जीवन पर केंद्रित है साथ ही
बीमारियों से बचाव के लिए सभी उम्र के टीकाकरण के उपयोग को बढ़ावा देना है। टीकाकरण सप्ताह का लक्ष्य नागरिकों की रक्षा करना और ऐसे समुदायों का निर्माण करना है जो वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों से सुरक्षित हैं।
सीएमआरआई कोलकाता के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ राजा धर ने बताया कि “टीकों ने अपनी प्रभावशीलता बार-बार साबित की है और आज के समय में टीकाकरण वाले लोगों के पास बेहतर जीवन जीने की संभावना है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की बुजुर्गों की आबादी में 41% की वृद्धि होने जा रही है, जिसमें बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। टीकाकरण का सबसे बड़ा लाभ अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति को कम करना और गंभीरता को कम करना होगा। भारत में टीकाकरण कवरेज बढ़ाने के लिए हर किसी को शेड्यूल के अनुसार खुद को टीका लगवाने का स्वामित्व लेने की जरूरत है तभी हम एक स्वस्थ समुदाय का हिस्सा होंगे और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों में जागरूकता बढ़ाने और सरकार द्वारा संचालित टीकाकरण शिविरों में भाग लेंने वालों की संख्या भी बढ़ाना होगी।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ लोकेश पांडे ने बताया कि, “विकासशील देशों में मृत्यु दर अधिक है। निमोनिया सभी आयु समूहों में एक अत्यंत खतरनाक बीमारी है, लेकिन 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अधिक है। इसकी रोकथाम इलाज से बेहतर है। छोटे बच्चों को शुरुआत में ही और बच्चों को टीका लगाने से उनके जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि होगी और साथ ही संचारी रोगों से गंभीर रूप से प्रभावित होने की संभावना कम हो जाएगी। कोविड -19 के पिछले 2 वर्षों ने बच्चों के लिए वैक्सीन शेड्यूल को बाधित कर दिया है, इसे स्कूल फिर से खोलने के साथ बदलने की जरूरत है। ”