टोक्यो ओलंपिक शुरू होने से पहले जिन खेलों और खिलाड़ियों से पदक की उम्मीद की जा रही थी उसमें गोल्फ़ और अदिति अशोक का नाम शायद ही किसी ने लिया हो. लेकिन अब जब ओलंपिक ख़त्म होने की कगार पर था तो भारत की 23 साल की गोल्फ़ खिलाड़ी अदिति ने पदक की उम्मीद जगा दी थी. टोक्यो ओलंपिक में चौथे पायदान पर पहुंचकर उन्होंने इतिहास रच दिया है. साल 2016 में गोल्फ़ को समर ओलंपिक में जगह दी गई जबकि यह इससे पहले 1900 और 1904 में भी ओलंपिक खेलों में शामिल रहा था. भारत की गोल्फ़ में इसे बड़ी छलांग माना जाना चाहिए. मेडल न मिलने के बावजूद दुनिया में 179वीं रैंकिंग की खिलाड़ी अदिति के ओलंपिक में इस शानदार प्रदर्शन की ख़ूब चर्चा हो रही है.
I still think of @Rio2016 like it was only yesterday. To have the honour of playing for India @OlympicGolf @Tokyo2020 is beyond exciting. I’m privileged to have the opportunity to represent my country & my sport at the games again.#Tokyo2020 #OlympicGolf
— Aditi Ashok (@aditigolf) June 29, 2021
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वैसे तो अदिति ने रियो 2016 ओलंपिक में भी क्वॉलिफ़ाई किया था लेकिन तब वो स्कूल से निकली एक किशोरी थीं और ओलंपिक में महिला गोल्फ़ स्पर्धा में सबसे युवा खिलाड़ी थीं. रियो में उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था और वो 41वें स्थान पर आई थीं. लेकिन इन सुर्खियों से परे इन पाँच सालों में अदिति ने महिला गोल्फ़ में अपना अलग मक़ाम बनाया है. 2017 में वे पहली भारतीय महिला प्रोफ़ेशनल गोल्फ एसोसिएशन (LPGA) खिलाड़ी बनीं थीं. किसी भी दूसरी भारतीय महिला गोल्फ़ खिलाड़ी ने दो बार ओलंपिक में क्वॉलिफ़ाई नहीं किया है.