साइबरपीस फाउंडेशन ने ट्रूकॉलर के साथ सहयोग किया

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पूरी दुनिया में फोन नंबर को वेरीफाई करने तथा अनचाहे फोन कॉल को रोकने में मदद करने वाले सबसे बड़े प्लेटफॉर्म, ट्रूकॉलर तथा साइबरपीस फाउंडेशन, एक गैर-पक्षपाती नागरिक समाज संगठन ने असम पुलिस के साथ मिलकर असम के गुवाहाटी से एक देशव्यापी अभियान #TrueCyberSafe का शुभारंभ किया। पहली बार ऐसा हुआ है, जब इंटरनेट सुरक्षा पर केंद्रित इस तरह के कार्यक्रम की शुरुआत पूर्वोत्तर भारत से की गई है।  

इस पहल का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता फैलाना तथा उन्हें प्रशिक्षण देना है, ताकि वे साइबर धोखाधड़ी से निपटने में सक्षम बन सके और उन्हें सुरक्षित ऑनलाइन गतिविधियों का अनुभव प्राप्त हो सके। असम से शुरू होने वाले इस सुरक्षा प्रशिक्षण का आयोजन पूरे देश के 5 क्षेत्रों में किया जाएगा, ताकि देश भर के इंटरनेट उपयोगकर्ता ऑनलाइन तरीकों से धोखाधड़ी, स्पैम और घोटालों से बचने के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें।

इस कार्यक्रम में गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त, श्री हरमीत सिंह, आई.पी.एस. तथा असम सरकार में आईटी विभाग के प्रधान सचिव, श्री अनुराग गोयल, आई.ए.एस.,उपस्थित थे। कार्यक्रम के आयोजनकर्ता के रूप में मेजर विनीत कुमार, वैश्विक अध्यक्ष एवं संस्थापक, साइबरपीस फाउंडेशन तथा श्रीमती प्रज्ञा मिश्रा महर्षि, सार्वजनिक मामलों की निदेशक, इंडिया ट्रूकॉलर भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। मुख्य वक्ता के भाषण के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसके बाद हाल के साइबर अपराधों एवं सुरक्षा उपायों के बारे में प्रशिक्षण दिया गया, जिन्हें साइबर अपराधों से सुरक्षित रहने के लिए हम सभी अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में शामिल कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में सरकारी भागीदारों, विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों एवं प्राध्यापकों, युवा उद्यमियों तथा बैंक के अधिकारियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के आयोजन में आईटी विभाग के साथ-साथ मेघालय और अरुणाचल प्रदेश पुलिस का भी सहयोग मिला।

कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, श्री अनुराग गोयल, आई.ए.एस., प्रधान सचिव, आईटी विभाग, असम ने कहा, “कोविड-19 महामारी ने साइबर जगत की खामियों को उजागर किया है, और बीते कुछ सालों में हुए साइबर हमलों से यह बात स्पष्ट रूप से प्रमाणित होती है। लोगों को जागरूक बनाकर तथा उन्हें साइबर अपराधों को पहचानने एवं इसकी रिपोर्ट करने में सक्षम बनाकर ही इस समस्या से निपटा जा सकता है। इस मामले में संज्ञान लेते हुए, बीते वर्षों में असम सरकार ने कई पहल शुरू किए हैं। ऐसी पहलों में एक महीने तक चलने वाले साइबर जागरूकता अभियान का आयोजन करना और ऑनलाइन सुरक्षित रहने के तरीकों के बारे में एकल मार्गदर्शिका जारी करना शामिल है। हमें यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि ट्रूकॉलर इस मामले में जागरूकता बढ़ाने में अपना योगदान दे रहा है जिसके लिए हम उन्हें शुभकामनाएँ देते हैं। हमें पूरा यकीन है कि यह गतिविधि लोगों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी।”

मुख्य वक्ता के रूप में अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते हुए, श्री हरमीत सिंह, आई.पी.एस., पुलिस आयुक्त, गुवाहाटी, ने कहा, “टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ी तेजी से इनोवेशन हो रहे हैं, जिसके साथ-साथ साइबर खतरों और ऑनलाइन उत्पीड़न में भी समान रूप से वृद्धि हुई है। वर्ष 2018 से 2021 के बीच भारत में साइबर धोखाधड़ी के मामलों में 5 गुना बढ़ोतरी हुई है। जैसे-जैसे हम टेक्नोलॉजी की ओर आगे बढ़ते रहेंगे, इस तरह के नकारात्मक बाहरी तत्वों की संख्या भी बढ़ती रहेगी। इसलिए, हमारे लिए अपने नागरिकों को सशक्त बनाने के उपाय करना सबसे जरूरी है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पहला कदम डिजिटल सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उन तरीकों की रूपरेखा तैयार करना है, जिनसे लोग साइबर अपराधों के बारे में रिपोर्ट कर सकते हैं। मुझे पूरा यकीन है कि यह देशव्यापी कार्यक्रम इस लक्ष्य को हासिल करने में एक लंबा सफर तय करेगा।”

इस अवसर पर श्रीमती प्रज्ञा मिश्रा महर्षि, सार्वजनिक मामलों की निदेशक, ट्रूकॉलर, ने कहा: “दुनिया लगातार डिजिटल स्पेस की ओर कदम बढ़ा रही है और इंटरनेट 21वीं सदी की गतिविधियों का केंद्र बिंदु बन चुका। यही वह स्थान है जहां किसी मुद्दे पर बहस होती है, समुदायों का निर्माण होता है, उत्पाद बेचे जाते हैं और प्रतिष्ठा बनती है। हमने संचार को सुरक्षित बनाने का संकल्प लिया है ताकि लोगों का भरोसा उस पर कायम रहे। इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए हम असम में अपने पहले प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं, जो हमारे राष्ट्रीय अभियान #TrueCyberSafe का हिस्सा है। हम असम पुलिस के साथ साझेदारी करके तथा असम के प्रधान सचिव से समर्थन प्राप्त करके बेहद उत्साहित महसूस कर रहे हैं, जिन्होंने डिजिटल उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन सुरक्षित रहने, साइबर अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए कदम उठाने तथा आलोचनात्मक सोच और सहानुभूति की आंतरिक शक्ति को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। हमें विश्वास है कि यह कार्यक्रम जागरूकता बढ़ाने और डिजिटल संचार को सभी के लिए सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”

मेजर विनीत कुमार, वैश्विक अध्यक्ष एवं संस्थापक, साइबरपीस फाउंडेशन ने “साइबरपीस – समय की मांग” के बारे में बात करते हुए कहा: “पिछले दो दशकों से साइबरपीस फाउंडेशन ने ऑनलाइन सुरक्षा और तथा भविष्य में सामने आने वाली समस्याओं पर काफी बल दिया है। महामारी की शुरुआत के बाद, हमने ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि देखी है। लिहाजा हमने यह सुनिश्चित करने के लिए दुनिया भर के संगठनों के साथ लगातार साझेदारी की है कि नेटिज़न्स साइबर के प्रति जागरूक एवं सतर्क बने रहें, साथ ही उन्हें अपनी आवाज़ उठाने और ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने की व्यवस्था के बारे में जानकारी हो। हमें अपनी हेल्पलाइन नंबर पर, प्रतिदिन साइबर धोखाधड़ी से संबंधित लगभग 10-11 मामलों की जानकारी प्राप्त होती है। ट्रूकॉलर के साथ हम यह मानते हैं कि, इस समस्या का समाधान निकालने के साथ-साथ ऑनलाइन खतरों एवं सुरक्षा को समझाने वाला यह कार्यक्रम इंटरनेट के उपयोग का भविष्य है। हम अपनी शिक्षण सामग्रियों को ट्रूकॉलर की विशेषज्ञता के साथ जोड़कर, हम सही मायने में परिवर्तनकारी सीखने के अनुभव का निर्माण कर सकते हैं जिससे लोगों को सीखी गई बातों को अमल में लाने की बुद्धिमत्ता प्राप्त होती है। हमें उम्मीद है कि हम प्रतिभागियों को इन बातों की सीख देने में सफल रहेंगे, जिस पर अमल करके वे एक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण का निर्माण कर पाएंगे।”

कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद #TrueCyberSafe अभियान के तहत डॉ. रक्षित टंडन, हेड-कैपेसिटी बिल्डिंग, साइबरपीस फाउंडेशन, द्वारा एक तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। साइबर गतिविधियों में सुरक्षित रहने के लिए उठाए जाने वाले सुरक्षा उपायों के बारे में बात करने के अलावा, इस सत्र के दौरान ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग के लिए विभिन्न तंत्रों के बारे में भी बात की गई, जिनमें सरकार की रिपोर्टिंग पोर्टल www.cybercrime.gov.in, हेल्पलाइन नंबर 1930 तथा साइबरपीस व्हाट्सएप हेल्पलाइन नंबर +91 9570000066 भी शामिल हैं। इस दौरान उपयोगकर्ताओं के लिए ट्रूकॉलर की विभिन्न सुरक्षा सुविधाओं पर भी चर्चा की गई और अंत में प्रश्नोत्तर के साथ इस सत्र का समापन हुआ।