नहीं बताए उम्मीदवारों के आपराधिक मामले, सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा-कांग्रेस पर ठोका एक-एक लाख का जुर्माना

220

बिहार चुनावों में उम्मीदवारों का आपराधिक रिकार्ड सार्वजनिक न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सख्त रुख अपनाते हुए 9 राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी करार देते हुए 8 पर जुर्माना लगाया। कोर्ट ने बीजेपी और कांग्रेस समेत 9 राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी ठहराया है। कांग्रेस-बीजेपी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। एनसीपी और सीपीएम पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगा है।

जस्टिस आरएफ नरीमन और बीआर गवी की बेंच ने राजद, जनता दल, लोक जनशक्त‍ि पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और CPI पर भी एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने चार हफ्ते के भीतर चुनाव आयोग को जुर्माना जमा कराने को कहा। कोर्ट ने चेतावनी दी कि भविष्य में राजनीतिक दल आदेशों का पालन करें अन्यथा इसे गंभीरता से लिया जाएगा। कोर्ट ने हिदायत दी कि सभी दल अपनी वेबसाइट पर ब्योरा डालें। साथ ही चुनाव आयोग एक मोबाइल एप बनाए, जिसके जरिए मतदाता आसानी से मनमाफिक जानकारी जुटा सकें।

कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर सभी दल उसके आपराधिक रिकार्ड के बारे में जानकारी सार्वजनिक करेंगे। कोर्ट ने कहा कि लगता है कि राजनीतिक दल गहरी नींद में हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। उन्हें जागना ही पड़ेगा। जस्टिस आरएफ नरीमन और बीआर गवी की बेंच ने कहा कि वो तत्काल कदम उठाना चाहते हैं पर उनके हाथ बंधे हैं। वो विधायिका के क्षेत्र में बेवजह अतिक्रमण नहीं करना चाहते।

कोर्ट ने कहा कि एमएलए, एमपी के खिलाफ दर्ज मामले बगैर हाईकोर्ट की अनुमति के बगैर वापस नहीं होने चाहिए। ये बात राज्य सरकारों पर अंकुश लगाने के लिए कही गई। हालांकि कोर्ट ने कहा कि इनमें ज्यादातर मामले राजनीति से प्रेरित होते हैं। गौरतलब है कि बीते साल फरवरी में बिहार चुनाव से पहले कोर्ट ने कहा था कि उम्मीदवार अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी चयन के 48 घंटे के भीतर या फिर नामांकन दाखिल करने से दो सप्ताह पहले सार्वजनिक करेंगे। अब कोर्ट ने यह सीमा 48 घंटे की कर दी है।

कोर्ट ने राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। चुनाव आयोग सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाए। आयोग एक सेल बनाए जो ये निगरानी करे कि राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया है या नहीं। अगर कोई पार्टी निर्देशों की की अवहेलना करती है तो आयोग कोर्ट को जानकारी देगा।

कोर्ट ने ये फैसला उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिया जिसमें उन राजनीतिक दलों के सिंबल रद्द करने की मांग की गई थी जो उम्मीदवारों के आपराधिक रिकार्ड को छिपा रहे हैं। सीपीएम, एनसीपी के साथ बीएसपी के माफी मांगने पर कोर्ट ने उन्हें चेतावनी देकर छोड़ा है। सीपीएम, एमसीपी को चुनाव आयोग ने सिंबल रद्द करने की चेतावनी दी थी।