क्रेड्यूस और एचपीसीएल के एक संयुक्त उपक्रम ने पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में बांस की खेती और संवर्द्धन के लिये अरुणाचल प्रदेश बैम्बू रिसोर्स एंड डेवलपमेंट एजेंसी (एपीबीआरडीए) के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं। यह एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी द्वारा विश्व में बांस की खेती के लिये सबसे बड़ा अभियान है।
इस समझौते के तहत 100,000 हेक्टेयर वन्य एवं ग्रामीण भूमि में बांस, यानि ‘ग्रीन गोल्ड’ के पेड़ लगाए जाएंगे। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू के दूरदर्शी नेतृत्व में हस्ताक्षरित यह महत्वपूर्ण समझौता राज्य को हरित वृद्धि के चरण में ले जाएगा, जहाँ से देश और दुनिया को कार्बन न्यूट्रलिटी की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी।
सीटीपीएल के एमडी शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा, “इस समझौते के माध्यम से हम 10 वर्षों में 100 मिलियन कार्बन क्रेडिट्स की पैदावार करने में सक्षम होंगे, जिसका समान अवधि में मूल्य 1.5 बिलियन डॉलर होगा। यह कार्बन क्रेडिट्स सार्वजनिक संसाधनों के लिये काम आने और साझा होने की प्रतीक्षा में थे। हम इस राज्य और भारत की मदद करने का यह अवसर पाकर वाकई सम्मानित हुए हैं। हम अपनी सबसे अच्छी कोशिश करेंगे।”
एचसीपीएल के एमडी कार्तिक उपाध्याय ने कहा, “हम अरुणाचल प्रदेश जैसे पूर्वोत्तर राज्यों द्वारा दिये गये इस हरित अवसर को लेकर काफी उम्मीद में हैं। उनके पास जरूरी भूमि है, स्थानीय लोगों के लिये बदलाव लाने और भारत की हरित क्रांति का ध्वजवाहक बनकर उभरने की मजबूत राजनैतिक इच्छाशक्ति है। ऐसी पेशेवर सरकारी एजेंसियों के साथ भागीदारी करने पर हमें गर्व है।”
बांस उगाना और बांस की खेती कार्बन पर बहुत प्रभावी है और यह ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिये एक अभिन्न प्राकृतिक दृष्टिकोण है। अध्ययनों में पता चला है कि एक हेक्टेयर में बांस और उसके उत्पादों को उगाने से 10,000 किलोग्राम कार्बन हर साल अलग हो सकती है और इस प्रकार वे प्रभावशाली ‘ग्रीन गोल्ड‘ के उपक्रम हैं।
एपीबीआरडीए के चेयरमैन टुंग्री इफा ने कहा, “हमें इस रोमांचक नई परियोजना का अगुआ बनने पर गर्व है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप है, जिन्होंने 2030 तक भारत को स्वच्छ और हरित बनाने का संकल्प लिया है। ‘ग्रीन गोल्ड’ के संवर्द्धन और खेती से हमारे राज्य को फायदा होगा, क्योंकि बड़े पैमाने पर रोजगारों का सृजन होगा और लोग अपनी जड़ों से जुड़े रहेंगे।”
इस संयुक्त उपक्रम की उपज 30 वर्ष से ज्यादा समय तक टिकेगी, जिसे 10-10 साल के तीन चरणों में बांटा गया है। यह अपने तरह के कई प्रयासों में पहला है, क्योंकि उत्तर-पूर्व के सभी राज्य बांस की खेती के लिये उपजाऊ हैं।
क्रेड्यूस के विषय में:
2012 में शैलेन्द्र सिंह राव और विश्वराज सिंह राव द्वारा स्थापित क्रेड्यूस अहमदाबाद में स्थित जलवायु परिवर्तन और कार्बन संपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत की अग्रणी सेवा प्रदाता है। क्रेड्यूस ऐसी सेवाएं प्रदान करती है, जो लोगों और व्यवसायों को ‘कार्बन के प्रति सचेत’ जीवन जीने में समर्थ बनाती हैं। यह अवधारणा हमारे रहन-सहन और हमारे द्वारा पृथ्वी और उसके संसाधनों के उपयोग के परिदृश्य को आक्रामक रूप से परिभाषित कर रही है।