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छठ पूजा की तैयारी में जुटे लोग, नदी किनारे घाट बनाने का काम शुरू 

छठ पूजा की तैयारी में जुटे लोग, नदी किनारे घाट बनाने का काम शुरू 

कालचीनी प्रखंड के हासीमारा तोर्षा नदी में छठ पूजा के लिए घाट बनाने का काम जोरों पर है। जेसीबी की मदद से नदी के दोनों किनारे छठ घाट का निर्माण किया जा रहा है। शहर के सबसे महत्वपूर्ण छठ घाट में हासीमारा तोर्षा छठ घाट शामिल है। हर साल छठ पूजा के दौरान तोर्षा छठ  घाट पर बड़ी संख्या में भक्तों का समागम होता है। इस साल ये 28 अक्टूबर 2022 से शुरू होगा और 31 अक्टूबर 2022 तक चलेगा।
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मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए ६० साल पहले शुरु की गयी थी काली पूजा 

मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए ६० साल पहले शुरु की गयी थी काली पूजा 

मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य की कामना के साथ आज से करीब 60 साल पहले मालदा जिला अस्पताल के सामने मां काली माता की पूजा शुरू की गई थी। उसी रिवाज का अनुपालन करते हुए सोमवार को अमावस्या के दिन श्यामा माई की मूर्ति की पूजा की गई। वर्तमान में, देवी कालीमाता का मंदिर मालदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के यक्ष्मा रोग विभाग से सटे परिसर में स्थित है। पूजा आयोजकों ने बताया कि करीब 60 साल पहले मेडिकल कॉलेज के अस्थायी कर्मचारी लक्ष्मण बांसफोर ने श्यामा काली पूजा की शुरुआत की थी। वह पूजा धीरे-धीरे आम लोगों की पूजा के…
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४०० साल पुरानी है जुझारुपुरियानी गांव की काली पूजा 

४०० साल पुरानी है जुझारुपुरियानी गांव की काली पूजा 

उत्तर दिनाजपुर जिले के करणदिघी प्रखंड अंतर्गत जुझारुपुरियानी की काली पूजा 400 साल पुरानी है। स्थानीय राजबंशी समाज के लोगों समेत स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस काली पूजा की शुरुआत पुनिया राजा पृथ्वी राज चौधरी ने की थी। जुझारुपुरियानी की काली पूजा राजा के शासनकाल से ही होती आ रही है। सनद रहे कि राजा पृथ्वी राज चौधरी ने अपने वंशजों के कल्याण के लिए यह काली पूजा दी थी। यह काली पूजा रात में जुझारुपुरियानी गांव में की जाती है। इस काली मां तक पहुंचने के लिए कोई विशिष्ट मार्ग नहीं है। धान के…
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माँ काली की मूर्ति बनाने में जुटे मूर्तिकार, इस वर्ष मिले बड़े ऑर्डर

माँ काली की मूर्ति बनाने में जुटे मूर्तिकार, इस वर्ष मिले बड़े ऑर्डर

कुम्हारटोली के मूर्तिकार कुछ दिन आराम करने के बाद फिर से लय में आ गए हैं। दुर्गा पूजा के बाद फालाकाटा प्रखंड के जटेश्वर के कुम्हार इन दिनों काली की मूर्ति बनाने में लगे थे। काली पूजा के अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं। इसलिए वे लोग फिलहाल माँ काली की मूर्ति बनाने में व्यस्त हैं। मूर्ति बनाने की फैक्ट्रियों में इन दिनों ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। कहीं काली प्रतिमा की संरचना बन रही है तो कहीं बड़ी मूर्ति के संरचना पर मिट्टी का लेप लगाने का काम चल रहा है। इस संबंध में जटेश्वर के एक…
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आज भी पुरानी परंपराओं के अनुसार होती है १०६ वां वर्ष पुरानी हेमिलटनगंज की कालीमाँ की आराधना

आज भी पुरानी परंपराओं के अनुसार होती है १०६ वां वर्ष पुरानी हेमिलटनगंज की कालीमाँ की आराधना

डुआर्स की सबसे पुरानी और पारंपरिक काली पूजा में से एक है कलचीनी ब्लॉक के हेमिलटनगंज की काली पूजा। कोरोना की स्थिति पर काबू पाने के बाद इस साल यहाँ भव्य तरीके से काली पूजा का आयोजन किया जा रहा है। इस साल  इस पूजा का 106वां वर्ष है। इस पूजा की शुरुआत 1917 में यूरोपीय साहबों  ने की थी। इसके लिए यूरोपीय आकाओं द्वारा लकड़ी के मंदिर और मिट्टी की मूर्ति की स्थापना की गई थी। बाद में, स्थानीय लोग हर साल इस पूजा को आयोजित करते रहे हैं। श्रमिकों और आसपास के चाय बागानों के लोगों की मदद से, 2002 में…
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