सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने ग्रामीणों के लिए पीडीएस खाद्यान्न तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित की

बीएसएफ उत्तर बंगाल फ्रंटियर, कदमतला के महानिरीक्षक श्री सूर्यकांत शर्मा के गतिशील नेतृत्व में, बीएसएफ न केवल भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को सुरक्षित करता है बल्कि सुरक्षा की भावना भी पैदा करता है और सीमावर्ती समुदायों को मानवीय सहायता प्रदान करता है।

दिनांक 12 अप्रैल 2024 को मिलेनियम पोस्ट में प्रकाशित ’बीएसएफ जवान ग्रामीणों को पीडीएस खाद्यान्न इकट्ठा करने से रोक रहे हैं’ के हालिया आरोपों के जवाब में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) इन दावों को आधारहीन और वास्तविकता से दूर बताते हुए दृढता से खंडन करता है। बीएसएफ हमेशा भारत-बांग्लादेश सीमा बाड के आगे रहने वाले निवासियों के कल्याण और जीवन को आसान बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। आरोपों के विपरीत बीएसएफ ग्रामीणों के लाभ के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) खाद्यान्न के संग्रह की सुविधा प्रदान करता है।
बीएसएफ सीमावर्ती निवासियों द्वारा पीडीएस वस्तुओं के संग्रह की प्रक्रिया को स्पष्ट करना चाहता है। पीडीएस खाद्यान्न के वितरण में शामिल हैंः- एपीएल लाभार्थियों को एक परिवार के लिए प्रति व्यक्ति 03/04 किलोग्राम चावल मिलता है, बीपीएल लाभार्थियों को 05 किलोग्राम चावल और 03 किलोग्राम गेहूं मिलता है और अंत्योदय लाभार्थियों को 15/20 किलोग्राम खाद्यान्न मिलता है जिसमें चावल, गेहूं, आटा शामिल होता है। खाद्य तेल, और अन्य आवश्यक वस्तुएँ जैसे साबुन इत्यादि। पीडीएस वस्तुओं के संग्रह के दौरान जब ग्रामीण अपनी पीडीएस राशन रसीदें प्रस्तुत करते हैं तो बीएसएफ कर्मी उनकी सहायता करके अपना सहयोग बढाते हैं। यह लाभार्थियों के लिए एक सुचारू और कुशल प्रक्रिया सुनिश्चित करता है। बीएसएफ भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र में पहली प्रतिक्रियाकर्ता है, जो आग, चिकित्सा आपात स्थिति और सीमावर्ती आबादी के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों जैसी आपात स्थितियों के दौरान सहायता प्रदान करती है। बीएसएफ ने बाड के भीतर और बाहर सीमा क्षेत्र के निवासियों की सहायता में लगातार सक्रिय भूमिका निभाई है। हमारा समर्पण जीवन स्तर को बढाने और महत्वपूर्ण सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में फैला हुआ है। दूरदराज के सीमावर्ती गांवों में नियमित चिकित्सा शिविर आयोजित किए जाते हैं, जिनमें बाड से परे स्थित गांव भी शामिल हैं, जो स्थानीय आबादी की भलाई को बढाने के लिए टीकाकरण जैसी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं।इसके अलावा, बीएसएफ ग्रामीणों के समग्र कल्याण के लिए घरेलू सामान, खेल उपकरण और अन्य आवश्यकताओं को वितरित करने के उद्देश्य से सिविक एक्सन कार्यक्रम आयोजित करती हैं। बाढ या चिकित्सा संकट जैसी आपात स्थितियों के दौरान बीएसएफ प्राथमिक सहायता प्रदाता के रूप में तेजी से प्रतिक्रिया देता है, चिकित्सा आपात स्थिति और अग्निशमन कार्यों के लिए एम्बुलेंस सेवाओं सहित त्वरित सहायता प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त बीएसएफ भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्रों में एक आशाजनक भविष्य के लिए क्षमताओं को बढावा देने, प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं, कंप्यूटर सीखने और कौशल विकास केंद्रों के लिए कोचिंग कक्षाओं के साथ सीमावर्ती गांवों के युवाओं को सशक्त बनाता है। इसके अलावा, बीएसएफ ने सीमावर्ती समुदायों की भलाई के लिए लगातार अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। हाल ही में, 31 मार्च 2024 को बीएसएफ जवानों ने बीओपी सोनगांव, 72 बीएन बीएसएफ सेक्टर किशनगंज में आग लगने की घटना के दौरान अनुकरणीय साहस और त्वरित कार्रवाई का प्रदर्शन किया। दिनांक 31 मार्च 2024 की शाम को बीएसएफ कांस्टेबल जितेंद्र कुमार ने बीओपी सोनगांव से लगभग 100 मीटर दूर चावल के भूसे के भंडार से धुआं और आग निकलते देखा। उन्होंने तुरंत पोस्ट कमांडर एसआई किशोरी लाल सहित अपने वरिष्ठों को सतर्क किया और प्रहरी मित्र जाकिर हुसैन और उप कमाण्डेंट श्री पी एल मीना के साथ समन्वय किया। बीएसएफ जवानों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ग्रामीणों की मदद से आग को गांव में फैलने से रोका। बचाव अभियान के दौरान एक व्यक्ति समीर अली मवेशियों को बचाते समय झुलस गया था। उन्हें तुरंत बीएसएफ वाहन में चिकित्सा उपचार के लिए बीपीएचसी महाराजाहाट ले जाया गया। स्थानीय ग्रामीण इस ऑपरेशन के दौरान बीएसएफ द्वारा स्थानीय ग्रामीणों को प्रदान की गई अमूल्य सहायता को स्वीकार करते हैं, जिससे जान-माल का बडा नुकसान होने से बच गया। इन हालिया घटनाओं के आलोक में बीएसएफ सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों की भलाई और समृद्धि सुनिश्चित करते हुए भारत की सीमाओं की सुरक्षा के अपने मिशन के लिए समर्पित है।

By Editor