भूटान ने सामान भत्ता पर लगाया ब्रेक, पर सतत विकास शुल्क से पीछे हटने को तैयार नहीं

उत्तर बंगाल के पर्यटन संगठनों और कारोबारियों की अपील पर सकारात्मक रूप अपनाते हुए भूटान ने भारतीयों के लिए बैगेज अलाउंस अर्थात  ‘सामान भत्ता’ पर  फिलहाल रोक लगा दिया है। हालांकि, भूटान में भारतीयों के रात भर ठहरने के लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट फीस अर्थात सतत विकास शुल्क लागू रहेगा।

भूटान सरकार ने एक सर्कुलर के जरिए जयगांव मर्चेंट एसोसिएशन और जयगांव विकास प्राधिकरण को इस बात  की जानकारी दी है। गौरतलब है भूटान से भारत में बड़ी मात्रा में डोलोमाइट, सीमेंट, सब्जियां और आलू आयात किए जाते हैं। सिर्फ जयगांव ही नहीं, सिलीगुड़ी के कई कारोबारी भूटान से व्यापारिक रिश्ते से जुड़े हैं। ऐसे में  भूटानी प्रशासन द्वारा तीन हजार रुपये से अधिक की खरीद पर अतिरिक्त ‘सामान भत्ता’ की घोषणा की गई। बैगेज अलाउंस को लेकर भूटान सरकार की अधिसूचना सामने आते ही पर्यटन संगठनों और कारोबारी हलकों में हड़कंप मच गया। उसके बाद दोनों देशों के प्रशासनिक अधिकारियों ने आपस में बैठक की।

संगठन के अध्यक्ष गंगाप्रसाद शर्मा ने जयगांव विकास प्राधिकरण की ओर से अतिरिक्त कर को वापस लेने की मांग की थी। भूटान प्रशासन ने उस आवेदन के जवाब में ‘सामान भत्ता’ को फ़िलहाल निलंबित करने का निर्णय लिया। हालाँकि, यदि भारत के लोग भूटान में रात भर ठहराते हैं, तो उन्हें प्रति व्यक्ति प्रति रात 1,200 रुपये का अतिरिक्त ‘सतत विकास शुल्क’ का भुगतान करना होगा। भारतीय पर्यटन कारोबारियों की कई अपीलों के बावजूद अतिरिक्त पड़ोसी देश अपने इस निर्णय से पीछे नहीं हट रह है। जिसको लेकर पर्यटन संगठनों में खासा रोष है।

उत्तर बंगाल के सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन संगठनों में से एक हिमालयन हॉस्पिटैलिटी डेवलपमेंट एंड टूरिज्म नेटवर्क के महासचिव सम्राट सान्याल ने कहा, ”बैगेज अलाउंस के निलंबन का स्वागत योग्य है पर  ‘सतत विकास शुल्क’ माफ नहीं किया गया, तो इसका असर भारत-भूटान के रिश्ते पर पडेगा।
वहीँ गंगाप्रसाद शर्मा ने कहा, “काफी राहत है क्योंकि सामान भत्ता निलंबित कर दिया गया है। हालांकि भूटान गेट खुलने के बाद सतत विकास शुल्क माफी के लिए भी संघर्ष जारी रहेगा। हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना जारी रखेंगे।”
जयगांव मर्चेंट्स एसोसिएशन के महासचिव रमाशंकर गुप्ता ने कहा, “भूटान में बैगेज अलाउंस के निलंबन से व्यापारियों को काफी फायदा हुआ है। लेकिन हम सतत विकास शुल्क माफी की मांग से दूर नहीं जा रहे हैं।”

By Priyanka Bhowmick

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *