एडवर्टाइज़िंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) ने जेंडर से जुड़ी गलत धारणाओं के खिलाफ दिशा-निर्देश जारी किया है। इससे पहले एएससीआई ने अक्टूबर, 2021 में अपनी जेंडरनेक्स्ट रिपोर्ट सफलतापूर्वक लॉन्च की थी, जो एएससीआई और फ्यूचरब्रांड्स द्वारा किया गया एक अध्ययन था। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में जेंडर से जुड़ी गलत धारणाओं के खिलाफ दिशानिर्देश जारी किए गए।
जेंडर चित्रण एक जटिल और नाजुक मुद्दा है और दिशानिर्देश एएससीआई के अध्याय III (हानिकारक स्थितियों से संबंधित) की व्याख्या प्रदान करते हैं, जो ऐसे विज्ञापनों से संबंधित है, जो व्यक्तियों या समाज को हानि पहुँचा सकते हैं। जेंडर से जुड़ी गलत धारणाएँ नुकसानदेह हैं, क्योंकि वे व्यक्तियों को कुछ भूमिकाओं के दायरे में बंद कर देती हैं और कुछ ऐसी स्थितियों को बनाए रखती हैं, जो समाज के लिए हानिकारक हैं। विज्ञापन, सूक्ष्म और निहित चित्रणों के माध्यम से, कुछ नुकसानदेह धारणाओं को पुष्ट करते हैं और व्यक्तियों तथा समूहों की आकांक्षाओं की अनदेखी करते हैं। हाल ही में किए गए कांतार के एक अध्ययन के अनुसार, 64% उपभोक्ताओं का मानना है कि विज्ञापन जेंडर से जुड़ी गलत धारणाओं को मिटाने में मदद करने के बजाए उन्हें मजबूत करते हैं।
ये दिशानिर्देश महिलाओं पर तो ध्यान केंद्रित करते ही हैं, लेकिन वे अन्य जेंडर के चित्रण के लिए भी सीमाएं निर्धारित करते हैं।
ये दिशानिर्देश, विज्ञापनदाताओं और रचनाकारों को एसईए (सेल्फ-एस्टीम्ड – एम्पावर्ड – अलाइड यानी स्व-सम्मानित – अधिकार प्राप्त – संबद्ध) फ्रेमवर्क अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जो सहानुभूति और मूल्यांकन के साथ-साथ 3एस (3S) फ्रेमवर्क के निर्माण जरिए, हितधारकों को उनके विज्ञापन में जेंडर चित्रण की कल्पना करने के साथ-साथ जेंडर के मूल्यांकन करने में मार्गदर्शन करता है, जो विज्ञापन में आने वाले ट्रूप्स और निहित गलत धारणाओं से सतर्क रहने के लिए एक चेकलिस्ट प्रदान करता है।
ये फ्रेमवर्क्स मार्केटिंग और विज्ञापन प्रोफेशनल के लिए अपने विज्ञापन संबंधी रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (आरओआई) को बेहतर बनाने के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं।
जेंडर संबंधित गलत धारणाओं पर दिशा-निर्देशों के शुभारंभ पर बोलते हुए, माननीय महिला और बाल विकास मंत्री, श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा, “हालाँकि कई महिलाएँ विज्ञापन उद्योग में किए गए वृद्धिशील परिवर्तन से खुश हैं, लेकिन मेरी पीढ़ी की महिलाएँ इसे लेकर थोड़ी अधिक अधीर हैं। यह न केवल पुरुषों के लिए, बल्कि विज्ञापन उद्योग में महिलाओं के लिए भी कदम बढ़ाने का समय है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है, और मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में अभी एक लंबी यात्रा करना बाकी है। सोच को नई दिशा प्रदान करने के लिए ही सही, लेकिन अब इसकी आवश्यकता साफ दिखाई देती है। साथ ही इस क्षेत्र में काम अधिक से अधिक गति से आगे बढ़ने के साथ ही एएससीआई जैसे संगठनों को इसका नेतृत्व करने की सख्त जरुरत है, जिसकी कार्रवाई अपने सदस्य आधार से शुरू होना चाहिए।”