मुस्लिम देश तुर्की (Muslim Nation Turkey) महिलाओं की सुरक्षा (Women Safety) को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है. यही वजह है कि उसने महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी एक अंतरराष्ट्रीय संधि (International Treaty) से खुद को अलग कर लिया है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस संधि पर तुर्की राजधानी इस्तांबुल में ही हस्ताक्षर किए गए थे. हालांकि, राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने विश्वास दिलाया है कि संधि से पीछे हटने का मतलब महिलाओं की सुरक्षा से समझौता बिल्कुल नहीं है, लेकिन जनता को राष्ट्रपति के ‘विश्वास’ पर विश्वास नहीं है.
गुरुवार शाम इस्तांबुल में सैकड़ों महिलाओं ने प्रदर्शन किया और कहा कि वे ‘काउंसिल ऑफ यूरोप्स इस्तांबुल’ संधि से तुर्की को बाहर नहीं निकलने देंगी. तुर्की के अन्य शहरों में भी ऐसे ही प्रदर्शन देखने को मिले. राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन (Recep Tayyip Erdogan) ने मार्च में अचानक इस संधि से तुर्की को अलग करने फैसला किया था.
इसके बाद राष्ट्रपति ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने की अपनी खुद की कार्य योजना की घोषणा की, जिसमें न्यायिक प्रक्रियाओं की समीक्षा, संरक्षण सेवाओं में सुधार और हिंसा पर आंकड़े जुटाने जैसे लक्ष्य तय किया जाना शामिल है. लेकिन महिलाएं उनकी इस घोषणा से खुश नहीं दिखाई दे रही हैं (Women Safety). और जमकर विरोध दर्ज करा रही हैं.
राजधानी अंकारा में हजारों महिलाएं एकत्रित हुईं. इन्होंने कहा कि अब यह ना तो चुप होंगी, ना डरेंगी और ना ही झुकेंगी. लोगों ने हैरानी जताई कि सरकार महिला सुरक्षा को लेकर सुधार करने के बजाय उनसे उनके अधिकार छीन रही है. ओजगुल नाम की एक छात्रा ने कहा, ‘हम रोज सुबह उठकर महिला हत्याओं के बारे में पढ़ते हैं, अब सरकार के फैसले से देश में खुद को सुरक्षित महसूस कराना संभव नहीं होगा.’
विरोध प्रदर्शन में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं. कुछ इसी तरह के विरोध प्रदर्शन अंकारा के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी देखे गए हैं (Women in Turkey). हालांकि राष्ट्रपति एर्दोआन बार-बार अपने इस कदम का बचाव कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारी लड़ाई इस्तांबुल कन्वेंशन से शुरू नहीं हुई थी और इस संधि से बाहर निकलने पर ये लड़ाई खत्म भी नहीं हुई है.’ एर्दोआन के फैसले के खिलाफ अदालत में एक याचिका भी दायर की गई थी, जिसे खारिज कर दिया गया. तीन विपक्षी पार्टियों ने गुरुवार को फैसले का विरोध किया. महिलाओं से जुडे़ एक संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि वह संघर्ष करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि इस फैसले से तुर्की ने अपने खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारी है.