युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान से भागते हुए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने हेलीकॉप्टर में ठूंस-ठूंस कर नकदी भरी, लेकिन जगह की कमी के कारण नोटों से भरे कुछ बैग रनवे पर ही छोड़ने पड़ गए| रूस की आधिकारिक मीडिया ने सोमवार को एक खबर में यह दावा किया| गौरतलब है कि रविवार को काबुल पर तालिबान के कब्जे के साथ ही अमेरिका समर्थित गनी सरकार गिर गयी और राष्ट्रपति देश-विदेश के सामान्य लोगों की तरह देश छोड़ने पर मजबूर हो गए|
काबुल स्थित रूसी दूतावास का हवाला देते हुए रूस की सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने खबर दी है कि 72 वर्षीय राष्ट्रपति गनी नकदी से भरा हेलीकॉप्टर लेकर काबुल से भाग| खबर में दूतावास के एक कर्मचारी के हवाले से कहा गया है, ‘‘ उनके (गनी के) शासन के समाप्त होने के कारणों को, गनी के वहां से भागने के तरीके से जोड़कर देखा जा सकता है. चार कारें नकदी से भरी हुई थीं और उन्होंने सारा पैसा हेलीकॉप्टर में भरने की कोशिश की, लेकिन सारी नकदी हेलीकॉप्टर में नहीं भरी जा सकी और उन्हें कुछ नकदी रनवे पर ही छोड़नी पड़ गई|”
अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अपने पहले बयान में गनी ने रविवार को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा| राष्ट्रपति ने लिखा है कि उनके सामने दो मुश्किल विकल्प थे, पहला राष्ट्रपति भवन में घुसने की कोशिश कर रहे हथियारबंद तालिबान और दूसरा अपने प्रिय देश को छोड़ना, जिसकी रक्षा में मैने अपने जीवन के 20 साल लगा दिये|
उन्होंने कहा, अगर फिर से अनगिनत संख्या में देश के नागरिक शहीद होते और काबुल में विध्वंस ही विध्वंस होता तो कुछ 60 लाख की आबादी वाले शहर के लिए उसका परिणाम बेहद घातक होता| तालिबान ने मुझे हटाने का फैसला कर लिया था, वे यहां काबुल और काबुल के लोगों पर हमला करने आए हैं| ऐसे में रक्तपात से बचने के लिए, मुझे वहां से निकलना ही मुनासिब लगा|
पड़ोसी देश ताजिकिस्तान में शरण लिए हुए गनी ने कहा, तालिबान ने हथियार के बल पर लड़ाई जीत ली है और अब देशवासियों के सम्मान, धन और आत्मसम्मान की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है|
पेशे से शिक्षाविद और अर्थशास्त्री गनी अफगानिस्तान के 14वें राष्ट्रपति थे. पहली बार 20 सितंबर 2014 और दूसरी बार 28 सितंबर, 2019 में वह राष्ट्रपति चुनावों में जीत हासिल कर पद पर निर्वाचित हुए थे|
गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर 1996 से 2001 तक तालिबान का शासन था और 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद अमेरिका नीत सैन्य बलों ने देश से उनका शासन समाप्त कर दिया था|