बंगाल में ममता ने अपना परचम लहराया ‘ भाजपा से छीन ली छह सीटे

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भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव से करीब दो प्रतिशत कम 38.34 प्रतिशत वोट मिला

माकपा को 5.67 और कांग्रेस को 4.66 प्रतिशत वोट मिला

  • बांकुड़ा से केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार अपनी सीट नहीं बचा पाए
  • अधीर चौधरी बहरमपुर सीट पर पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान से हारे
  • दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव में भी तृणमूल का परचम

भ्रष्टाचार, संदेशखाली पर भारी पड़ा लक्ष्मी भंडार और मुस्लिम वोट

वोट प्रतिशत के हिसाब से माकपा तीसरे तो कांग्रेस एक सीट के साथ चौथे स्थान पर

कोलकाता: लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का लक्ष्मी भंडार (सामान्य वर्ग की महिलाओं को एक-एक हजार और एससी, एसटी को 1200 रुपये प्रति माह देना) काम कर गया। एक तरफ महिलाएं तो दूसरी ओर मुस्लिम वोट ने ममता की झोली ऐसी भर दी कि 2019 में 18 सीटें जीतने वाली भाजपा 12 सीटों पर सिमट कर रह गई। तृणमूल 29 ने सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं वाम-कांग्रेस गठबंधन के खाते में सिर्फ एक सीट गई। कांग्रेस के पांच बार के सांसद रहे अधीर रंजन चौधरी बहरमपुर सीट पर तृणमूल प्रत्याशी पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान से हार गए, यहां भाजपा तीसरे स्थान रही। कांग्रेस सिर्फ एक सीट मालदा दक्षिण पर जीत दर्ज की है। एबी गनी खान चौधरी के भतीजे ईशा खान चौधरी कांग्रेस प्रत्याशी ने भाजपा की श्रीरूपा मित्रा चौधरी पटखनी दी है। 2019 में भी इस सीट से ईशा के पिता अबू हासेम खान चौधरी जीते थे। माकपा नेतृत्व वाले वाममोर्चा का लगातार यह दूसरा लोकसभा चुनाव व है जब उसका खाता नहीं खुला है। यही नहीं विधानसभा में भी वामपंथी दल शून्य है।मोदी सरकार के दो मंत्री बांकुड़ासे सुभाष सरकार भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। इस चुनाव परिणाम से ऐसे संकेत मिले हैं कि बंगाल 7 में शिक्षक भर्ती, राशन घोटाला, संदेशखाली कांड से लेकर सीएए का कोई लाभ भाजपा को नहीं मिला। तृणमूल ने उत्तर से दक्षिण बंगाल और जंगलमहल से कोलकाता के आसपास की अधिकांश सीटों पर अपना परचम लहराया है। इस बार भी माकपा के साथ-साथ वाममोर्चा पो के अन्य घटक दल भाकपा में आरएसपी व फारवर्ड ब्लाक का जै खाता नहीं खुला। तृणमूल 2019 में गंवाईं कई सीटों पर कब्जा जमाने में सफल रही है।इस बीच वाममोर्चा के नेताओं ने अपनी हार स्वीकार ली है। एक्जिट पोल आने के बाद से तृणमूल खेमे में थोड़ी मायूसी थी लेकिन सुबह जैसे ही मतगणना का रूझान आना शुरू हुआ तृणमूल खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई। हर तरफ तृणमूल का झंडा और हरा रंग उडने लगा। दूसरी ओर वाममोर्चा व कांग्रेस मुख्यालय पर सन्नाटा जरूर पसरा था, लेकिन दिल्ली में भाजपा को अकेले बहुमत नहीं मिलने की जरूर खुशी थी। भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर भी सन्नाटा ही था।