गोरखा जनमुक्ति मोर्चा जीटीए समझौते से हस्ताक्षर वापस ले लिया। हस्ताक्षर वापस लेने का निर्णय शुक्रवार को पार्टी द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों को लिखित रूप में भेजा गया। यह बात पार्टी के महासचिव रोशन गिरी ने संवाददाता सम्मेलन में कही। उन्होंने दावा किया कि गोरखाओं के विकास के लिए जीटीए बनाया गया था। लेकिन इतने सालों में भी उसने गोरखाओं के विकास के लिए कोई काम नहीं किया। इसीलिए यह फैसला लिया गया है।
गौरतलब है कि सिलीगुड़ी के पिंटेल विलेज में केंद्र, राज्य और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बीच 18 जुलाई 2011 को इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। बाद में इस GTA समझौते को कानून में बदल दिया गया। ऐसे में यह सवाल उठाया गया है कि हस्ताक्षर वापस लेने का कितना असर होगा। रोशन गिरी ने हालांकि कहा, “हमने अपना हस्ताक्षर वापस लेकर अपना समर्थन वापस ले लिया है। GTA का भविष्य पूरी तरह से केंद्र और राज्य सरकारों के फैसलों पर निर्भर करेगा।”