सीबीआई ने सोमवार को दिन में मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फ़िरहाद हकीम, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और पार्टी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी को गिरफ़्तार किया था. सीबीआई इन नेताओं को उनके घरों से पूछताछ के लिए कोलकाता में निज़ाम पैलेस स्थित अपने दफ़्तर लेकर आई थी जहाँ उनको गिरफ़्तार कर लिया गया. शाम को सीबीआई की विशेष अदालत ने चारों नेताओं को अंतरिम ज़मानत दे दी थी मगर रात को कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस फ़ैसले पर रोक लगा दी.
फ़िरहाद हकीम ने सीबीआई के कोलकाता दफ़्तर के बाहर कहा, “मुझे न्यायपालिका में पूरी आस्था है. बीजेपी मुझे परेशान करने के लिए किसी को भी काम पर लगा सकती है.”
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 15 दिन बाद हुई नेताओं की गिरफ़्तारियों को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं और तृणमूल कांग्रेस इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रही है.
भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव में एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया था मगर इसके बावजूद ममता बनर्जी ज़बरदस्त बहुमत के साथ लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटीं.
गिरफ़्तार किए गए नेता मदन मित्रा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “केंद्र सरकार, और मुख्य रूप से दोनों नेता (मोदी और शाह) बंगाल के लोगों के दिए गए जनादेश को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं. खेल फिर शुरू हो गया है.”
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने चुनाव परिणाम आने के कुछ ही दिन बाद हाल ही में सीबीआई को इन नेताओं के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर करने की अनुमति दे दी थी.