ब्लैक और व्हाइट के बाद अब येलो फंगस का खतरा,

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देश में कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक और वाइट फंगस के मामलों ने चिंताएं तो बढ़ाई ही थीं. अब यलो फंगस का मामला भी सामने आया है. इसे म्यूकर सेप्टिकस भी कहते हैं. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में सोमवार को यलो फंगस से पीड़ित एक मरीज मिला है. आंख, नाक और गले के विशेषज्ञ डॉक्टर बीपी त्यागी ने इसकी जानकारी दी. डॉक्टर त्यागी ने बताया कि यह मरीज ब्लैक और वाइट फंगस से भी संक्रमित है और उसका इलाज चल रहा है. मरीज की उम्र 45 साल की है और वो गाजियाबाद के संजय नगर में रहता है. डॉक्टर त्यागी ने बताया कि यलो फंगस के लक्षण कमजोरी, भूख कम या न लगना और वजन घटना हैं. बीमारी बढ़ने के साथ मरीज में और गंभीर लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जैसे शरीर में हुए घावों से मवाद निकलना, घावों का जल्दी ठीक न होना, कमजोरी से आंखें धंसना वगैरह. इसके अलावा बीमारी गंभीर होने पर ऑर्गन फेलियर और नेक्रोसिस यानी कि शरीर के सेल यानी कोशिकाओं की लिविंग टिशू यानी जीवित उत्तिकाओं में वक्त से पहले ही मौत हो जाती है, यानी कि सेल वक्त से पहले ही खत्म होने लगती हैं.

यलो फंगस के मरीज के केयरटेकर ने बताया कि मरीज का पिछले 2 महीनों से कोविड का इलाज चल रहा था और वो ठीक हो रहे थे. लेकिन पिछले चार दिनों में, मरीज के चेहरे का बायां हिस्सा सूजने लगा था, जिसके चलते वो अपनी आंखें नहीं खोल पा रहे थे. उनके नाक और यूरीन के रास्ते से खून निकलने लगा था. ऐसे में मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल ले जाया गया. यहां पर येलो फंगस की पुष्टि हुई.