पश्चिम बंगाल में आसन्न विधानसभा चुनाव से पहले भी सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को तगड़ा झटका लगने वाला है। एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य की सभी विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और 50 से अधिक ऐसे दिग्गज नेता हैं जो टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर भारतीय जनता पार्टी के द्वार पर जा पहुंचे हैं। इसमें तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता और कोलकाता के जाने-माने नेता दिनेश बजाज भी शामिल हैं। शुक्रवार रात को ही वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय के साल्टलेक स्थित आवास पर पहुंचे थे और मुलाकात की। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के अपने फैसले के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के लोग लगातार बंगाल में आने वाले हिंदी भाषी लोगों का अपमान कर रहे हैं। जो लोग बचपन से ही यहां पले बढ़े और बंगाल के विकास में भागीदार बने रहे हैं उन्हें केवल राजनीतिक हित के लिए बाहरी करार दिया जा रहा है और उन्हें भेदभाव की नजर से देखा जा रहा है। लगातार हिंदी भाषियों का अपमान हो रहा है। टिकट बंटवारे में भी भेदभाव किया गया है इसलिए उन्होंने ममता बनर्जी का साथ छोड़ने का निर्णय लिया है। बजाज ने बताया कि उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता छोड़ दी है और हिंदी अकैडमी से लेकर 22 महत्वपूर्ण पद तृणमूल कांग्रेस ने दिया था उन सभी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने बताया कि वह टिकट की आस में नहीं थे। 2011 में उन्हें टिकट नहीं मिला था और 2016 में भी। इसलिए इस बार भी उन्हें उम्मीद नहीं थी। उनका ममता से मोहभंग होने का एकमात्र कारण हिंदी भाषियों का अपमान है। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने बताया है कि शुक्रवार रात से शनिवार सुबह तक तृणमूल कांग्रेस के 50 से अधिक ऐसे नेता मुकुल रॉय से मिल चुके हैं जिन्हें टिकट मिलने की उम्मीद तो थी लेकिन ममता बनर्जी ने उन्हें किनारे लगा दिया। ये सारे लोग भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि चुनाव से पहले यह ममता बनर्जी को सबसे बड़ा झटका होगा। इसमें कई पूर्व विधायक भी हैं। भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती विधायकों को शामिल करने के बाद उन्हें टिकट नहीं देकर भी पार्टी के साथ बनाए रखना होगा। प्रदेश भाजपा सूत्रों ने बताया है कि जो भी नेता भाजपा के संपर्क में आ रहे हैं उन्हें आश्वस्त किया गया है कि अगर उनके विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के लिए उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप नहीं दी गई है तो उन्हें उम्मीदवार बनाने के बारे में विचार किया जा सकता है।