पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार के दौरान सेवा आयोग के जरिए नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली की वजह से रोक का सिलसिला लगातार जारी है। गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने म्यूनिसिपल सर्विस कमीशन के जरिए नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाई है। आरोप है कि इसमें नियुक्ति के दौरान जबरदस्त धांधली हुई और सत्तारूढ़ पार्टी के लोगों को नौकरी देने की कोशिश की गई है। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। इसकी वजह से करीब 1000 अभ्यर्थियों की नियुक्ति रुक गई है। कंजर्वेंसी मजदूर के तौर पर एक हजार रिक्त पदों पर नियुक्ति संबंधी विज्ञापन पिछले साल म्यूनिसिपल सर्विस कमीशन ने अखबारों में दिया था। अप्रैल महीने से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन परीक्षार्थियों में से प्रणव मंडल सहित अन्य ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाकर दावा किया कि उम्मीदवार चयन प्रक्रिया में धांधली हुई है और केवल सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े लोगों को नौकरी का मौका दिया जा रहा है। गुरुवार को इस मामले में सुनवाई हुई तो न्यायालय ने एग्जेम्प्टेड केटेगरी में नियम नहीं मानने के आरोपों को सही पाया और नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। आवेदनकारियों के अधिवक्ता कल्लोल बसु ने कहा है कि उकंत कैटेगरी में किन लोगों को सुविधाएं दी जानी चाहिए इस बारे में निर्दिष्ट निर्देशिका है, लेकिन बंगाल सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया में इसे पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है। इसीलिए कोर्ट ने नियुक्ति पर रोक लगाई है। अगले 11 फरवरी को दोबारा सुनवाई होगी।
गौर हो कि इसके पहले भी ममता बनर्जी की सरकार में शिक्षक नियुक्ति की हर एक प्रक्रिया पर न्यायालय से रोक लगी है। हालांकि बाद में कई सारे सुधारों के बाद थोड़ी बहुत नियुक्तियां हो सकी हैं।