विश्व सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़) दिवस 2024 के भाग के रूप में, स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि फेफड़े के स्वास्थ्य और कार्य को जानना महत्वपूर्ण है। यह इस साल की थीम, “अपने लंग फंक्शन को जानें” के क्रम में है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर में होने वाली मौतों में गैर-संचारी रोग (एनसीडी) का हिस्सा 74% है। सीओपीडी जैसी सांस की क्रोनिक बीमारी (सीआरडी) स्वास्थ्य परिणामों को गंभीर रूप से प्रभावित करती है, खासकर भारत में।
फेफड़े के कार्य के परीक्षण के महत्व के बारे में बताते हुए डॉ सुजीत गुप्ता, इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट, सिलीगुड़ी ने कहा, “सीओपीडी जैसी क्रोनिक श्वसन बीमारी के प्रभावी प्रबंधन और आगे की जटिलताओं को रोकने के लिए बीमारी का शुरू में ही पता चल जाना और उपचार शुरू होना महत्वपूर्ण हैं। स्पाइरोमेट्री, फेफड़े का एक कार्य परीक्षण है जो फेफड़ों द्वारा धारण की जा सकने वाली हवा की मात्रा और आप कितनी जल्दी साँस छोड़ सकते हैं, को मापता है। जानकारी देने के लिए नई ब्रीदफ़्री वेबसाइट जैसे विश्वसनीय संसाधन भारत में फेफड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के मिशन में लोगों को शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे लोगों को अपने श्वसन स्वास्थ्य के प्रबंधन में सक्रिय कदम उठाने में मदद मिलती है।”
सीओपीडी के प्रबंधन में जागरूकता की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए सिलीगुड़ी से क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के सलाहकार डॉ. अभिषेक बाली ने बताया, “सीओपीडी प्रबंधन का लक्ष्य रोग की प्रगति को धीमा करना और फेफड़ों की कार्यक्षमता में गिरावट को कम करना है। भारत में 2022 में किए गए एक बड़े बहुकेंद्रीय ग्रामीण आबादी-आधारित अध्ययन के अनुसार सीओपीडी के लगभग दो-तिहाई मामलों का पता नहीं चला है और केवल पाँचवें हिस्से को उचित इनहेलेशन (साँस लेने) का उपचार मिल रहा है, जागरूकता बढ़ाने से जान बच सकती है। ब्रोंकोडायलेटर इनहेलर, सीओपीडी के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिससे रोगियों को आसानी से सांस लेने में मदद मिलती है, जबकि पल्मोनरी रिहैबिलेशन (फुफ्फुसीय पुनर्वास) कार्यक्रम जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार कर सकते हैं।
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