व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : बाल विवाह मुक्त भारत का खाका पेश करने वाली पुस्तक

311

भारत में जहां हर साल लाखों लाख नाबालिग बच्चियों को बाल विवाह के बंधन में बांध दिया जाता है, बाल विवाह से मुक्ति का सपना दूर की कौड़ी लगना स्वाभाविक है। लेकिन भुवन ऋभु की किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज’ उम्मीद की एक किरण बन कर आई है जो मायूसी के इस हालात को बदल सकती है। यह किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज’ 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल करने का एक समग्र रणनीतिक खाका पेश करती है।अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पूरे देश में चल रहे बाल विवाह मुक्त अभियान की कड़ी में पश्चिम बंगाल के 22 जिलों में ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज’ का लोकार्पण किया गया। इस किताब का लोकार्पण बाल विवाह पीड़ितों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों और नागरिक समाज संगठनों से जुड़े लोगों ने किया।प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा की लड़ाई लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के प्रखर अधिवक्ता भुवन ऋभु महिलाओं एवं बच्चों के लिए काम करने वाले 160 गैर सरकारी संगठनों के सलाहकार भी हैं।

सबसे ज्यादा प्रभावित करीब 300 से ज्यादा जिलों में नागरिक समाज और महिलाओं की अगुआई में चल रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बेहद अहम दस्तावेज के रूप में यह किताब एक समग्र वैचारिक आधार, रूपरेखा और कार्ययोजना पेश करती है।वर्ष 2006 में 50 प्रतिशत बाल विवाह की दर को मौजूदा 23.3 प्रतिशत तक लाकर भारत ने बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति की है। लेकिन हालात अभी भी गंभीर और चुनौतीपूर्ण दिखते हैं। यूनीसेफ का अनुमान है कि बाल विवाह की मौजूदा दर अगर जारी रही तो 2050 तक देश में कई मिलियन और लड़कियों को बाल विवाह के चंगुल में फंसने से नहीं बचाया जा सकता।’व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ सुझाती है कि 2030 तक राष्ट्रीय बाल विवाह दर को 5.5 प्रतिशत तक लाना संभव है- ये संख्या वो देहरी है जहां से बाल विवाह का चलन अपने आप घटने लगेगा और लक्षित हस्तक्षेपों पर निर्भरता भी कम होने लगेगी।भुवन ऋभु अपनी किताब में लिखते हैं, “जरूरत है बस समस्या की गंभीरता को समझते हुए दृढ़ संकल्प के साथ यह कहने की कि, ‘अब और नहीं’। पैदा होते ही मां को खो देने, बेचे जाने, बलात्कार का शिकार होने का मतलब एक बच्चे का बार-बार मरना है।”हरियाणा के एक गैरसरकारी संगठन की सलाहकार 35 वर्षीय रुचि (बदला हुआ नाम) कहती हैं, “मैं दसवीं में पढ़ती थी और सिर्फ 15 साल की थी जब मेरा विवाह कर दिया गया। साल भर के भीतर मैं मातृत्व की जिम्मेदारियों से जूझ रही थी। कम उम्र में गर्भवती होने के कारण कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगीं और मुझे घरेलू हिंसा का भी सामना करना पड़ा। दोबारा पढ़ाई शुरू करने का साहस जुटाने में मुझे दशकों लग गए लेकिन आज मैं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हूं। मैं शपथ लेती हूं कि मैं अपनी बेटियों या अपने इर्द-गिर्द किसी भी बच्ची के साथ बाल विवाह का अत्याचार नहीं होने दूंगी।”

बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ को एक सामयिक और अहम हस्तक्षेप बताते हुए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के कंट्री हेड रवि कांत ने कहा, “नागरिक समाज और सरकार, दोनों ही बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरे समर्पण से काम कर रहे हैं। हम व्यवहारगत बदलाव के दो पहलुओं पर काम कर रहे हैं। पहला महत्वपूर्ण आयाम जागरूकता का प्रसार है जबकि दूसरा महत्वपूर्ण पहलू मौजूदा कानूनों और नीतियों का क्रियान्वयन है। लेकिन अब भी बड़ी तादाद में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं और इस अपराध से मुकाबले के लिए जब तक हमारे पास एक समन्वित योजना नहीं होगी, तब तक बाल विवाह के खिलाफ टिपिंग प्वाइंट के बिंदु तक पहुंचना एक मुश्किल काम होगा। यह किताब 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने का एक रणनीतिक खाका पेश करती है। यह किताब सरकारी प्राधिकारियों से लेकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों और नागरिक समाज जैसे तमाम हितधारकों के विराट लेकिन बिखरे हुए प्रयासों को एक ठोस आकार और दिशा देती है।”किताब इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक योजना की रूपरेखा भी पेश करती है। यह ‘पिकेट’ रणनीति के माध्यम से सरकार, समुदायों, गैर सरकारी संगठनों और बाल विवाह के लिहाज से संवेदनशील बच्चियों से नीतियों, निवेश, संम्मिलन, ज्ञान-निर्माण और एक पारिस्थितिकी जहां बाल विवाह फल-फूल नहीं पाए और बाल विवाह से लड़ाई के लिए निरोधक और निगरानी तकनीकों की मांग पर एक साथ काम करने का आह्वान करती है।बाल विवाह के खात्मे के लिए देश के सबसे ज्यादा प्रभावित 288 जिलों में 160 गैर संगठन मिल कर स्थानीय और जमीनी स्तर काम कर रहे हैं। ये सभी संगठन 16 अक्तूबर 2023 को बाल विवाह मुक्त भारत दिवस की तैयारियों में जुटे हैं। इस दिन देश के हजारों गांवों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रमों, नुक्कड़ नाटकों, बाल विवाह के खिलाफ प्रतिज्ञाओं, कार्यशालाओं, मशाल जुलूस और तमाम अन्य गतिविधियों के माध्यम से संदेश दिया जाएगा कि बाल विवाह हर हाल में खत्म होना चाहिए।16 अक्तूबर 2023 बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की पहली वर्षगांठ है और तब से लेकर अब तक सामुदायिक सदस्यों, गैर सरकारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों के प्रयासों से हजारों बाल विवाह रोके गए हैं और लाखों लोगों ने अपने समुदायों में बाल विवाह नहीं देने की शपथ ली है।