निजीकरण के खिलाफ बिजली विभाग के कर्मचारी लामबंद हो गए हैं। सोमवार को विद्युत कर्मियों ने तकरीबन दस बजे आपूर्ति ठप कर धरना शुरू कर दिया। जिले भर की बत्ती गुल हो गई तो हड़कंप मच गया। तहसील प्रशासन व अन्य अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई थी कि वह आपूर्ति बंद नहीं होने देंगे। इसके बावजूद शाम तक आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी। इससे हाहाकार मचा रहा। डीएम मंझनपुर विद्युत उपकेंद्र की बिजली बहाल कराने के लिए पहुंचे, लेकिन कामयाब नहीं हो सके। वहीं उनकी मौजूदगी में बिजली कर्मी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।
पूर्वांचल विद्युत वितरण लिमिटेड के अधीन 21 जिले आते हैं। इसमें कौशाम्बी भी शामिल है। विद्युत विभाग को निजीकरण करने की तैयारी चल रही है। इसका विरोध कर्मचारी कर रहे हैं। करीब एक माह से वह लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार व प्रशासन ने उनकी बात नहीं मानी। निजीकरण का प्रस्ताव वापस न आने पर विद्युत कर्मियों ने जिलेभर के सभी विद्युत उपकेंद्रों की लाइट सोमवार सुबह लगभग दस बजे बंद कर दी। इसके बाद सभी जिला मुख्यालय में इकट्ठा हुए। लाइट न आने पर लोग परेशान हो गए। पता किया गया तो हड़ताल की जानकारी मिली। करीब साढ़े 11 बजे लाइट की आपूर्ति न होने पर डीएम अमित सिंह जिला मुख्यालय में स्थित विद्युत उपकेंद्र पहुंचे। उन्होंने एक्सईएन अंकित कुमार को बुलाकर विद्युत आपूर्ति बहाल कराने की कोशिश की, लेकिन लाइट नहीं चालू हो सकी। करीब दस मिनट तक डीएम इस कोशिश में रहे कि लाइट चालू हो जाए, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इससे नाराज होकर वह चले आए और एसडीएम सदर राजेश चंद्रा को जिम्मेदारी सौंपी कि वह आपूर्ति बहाल कराएं, लेकिन मुख्यालय में लाइट नहीं आ सकी। यही हाल सिराथू, करारी, चायल, भरवारी, अजुहा, पश्चिमशरीरा समेत पूरे जिले का रहा। एक भी उपकेंद्र से आपूर्ति नहीं शुरू हुई। नायब तहसीलदार व लेखपाल उपकेंद्रों में पुलिस कर्मियों के साथ बैठे रहे। जिला मुख्यालय के उपकेंद्र में डीएम की मौजूदगी में बिजली कर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, लेकिन अधिकारी कुछ नही बोल। उनका पूरा प्रयास था कि लाइट चालू हो, लेकिन सफल नहीं हो सके। शाम को मानमनौव्वल का सिलसिला भी शुरू हुआ, जो चल रहा है।
वाराणसी और सहारनपुर के कुछ क्षेत्रों में भी ऐसा ही हाल रहा. वाराणसी में एक दिन पहले ही कंट्रोल रूम की व्यवस्था कर दी गई थी, ताकि लोगों की शिकायतों से निपटा जा सके. दूसरी तरफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की पावर कारपोरेशन प्रबंधन और ऊर्जा मंत्री से वार्ता बेनतीजा रही. अधिकारियों का कहना है कि उनका यह आंदोलन आगे भी जारी रहेगा, ऐसे में उत्तर प्रदेश में बिजली संकट और भी गहराने के आसार दिखाई दे रहे हैं. गौरतलब है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी काफी दिनों से विरोध कर रहे हैं. लेकिन बीते दिन उन्होंने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया.