टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने ‘विश्व जैव ईंधन दिवस 2024’ पर स्वच्छ और हरित वाहन गतिशीलता के लिए समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया

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वैश्विक स्तर पर निरंतरता के चैंपियन के रूप में, टोयोटा 2050 तक कार्बन तटस्थता के लिए प्रतिबद्ध है और इसका लक्ष्य 2035 तक विनिर्माण कार्यों में शुद्ध शून्य कार्बन प्राप्त करना है। यह टोयोटा पर्यावरण चुनौतियों 2050 (टीईसी 2050) से निर्देशित होगा। आज, विश्व जैव ईंधन दिवस के अवसर पर, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (टीकेएम) ससटेनेबल मोबिलिटी (जारी रहने योग्य गतिशीलता) के प्रति अपनी कटिबद्धता को दोहराता है। कंपनी करंट एनर्जी मिक्स (चालू ऊर्जा मिश्रण), अनूठी उपभोक्ता आवश्यकताओं, बुनियादी ढांचे की तत्परता और 2047 तक ऊर्जा में ‘आत्मनिर्भर’ बनने की दिशा में सरकार के विविध प्रयासों जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करते हुए कई स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को पेश करके और उनका समर्थन करके अधिक तत्परता के साथ हरित गतिशीलता समाधानों को आगे बढ़ा रही है।

भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। आयात के साथ-साथ देश में जीवाश्म ईंधन की खपत भी तेजी से बढ़ रही है। इससे अप्रैल 2024 के दौरान कच्चे तेल का आयात तीसरे सबसे ऊंचे स्तर के रिकार्ड पर पहुंच गया। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता भारत ने अप्रैल ’24 में 21.4 मिलियन टन (एमटी) कच्चे तेल का आयात किया और वित्त वर्ष 2023-24 में कुल 232.5 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया (स्रोत: अप्रैल 2024 पीपीएसी डेटा) । गतिशीलता की जरूरतों में बड़ी वृद्धि के कारण, परिवहन क्षेत्र, जो वर्तमान में तेल की मांग का लगभग 50% हिस्सा है (स्रोत: आईईए 2021) , इसमें सबसे महत्वपूर्ण योगदान जीवाश्म ईंधन का होगा। जीवाश्म ईंधन की अधिक खपत से कार्बन उत्सर्जन भी अधिक होगा। इसलिए, जीवाश्म ईंधन से तत्काल दूर जाना जरूरी है।

स्थायी और हरित भविष्य की दिशा में, बिजली और वैकल्पिक ईंधन (जैव ईंधन) जैसी स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करने वाली प्रौद्योगिकियों में बदलाव महत्वपूर्ण है। जैव ईंधन किफायती और टिकाऊ ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह भारत को ऊर्जा सुरक्षा चिंताओं से निपटने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और कार्बन उत्सर्जन को कम करके जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक बड़ा अवसर प्रदान करता है।

भारत में अक्षय ऊर्जा, अधिशेष चीनी, खाद्यान्न और बायोमास प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जो स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की ओर संक्रमण के लिए बहुत सारे अवसर प्रदान करता है, जो स्वदेशी भी है। प्रचुर मात्रा में उपलब्ध गन्ना, अतिरिक्त खाद्यान्न, साथ ही विशाल बायोमास अपशिष्ट का उपयोग इथेनॉल बनाने के लिए किया जा सकता है जो न्यूनतम संभव समय में वाहनों द्वारा उपयोग किए जाने वाले जीवाश्म ईंधन की एक महत्वपूर्ण मात्रा का विकल्प बन सकता है।

इसके अलावा, भारत में इथेनॉल उत्पादन की बड़ी संभावना है, जो इसे जीवाश्म ईंधन के लिए आर्थिक रूप से आकर्षक विकल्प बनाता है और 2जी तकनीक के माध्यम से पौधों के अपशिष्ट या पराली जैसे अवशेषों का उपयोग करके हरित भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। अन्यथा, इसे भारत के उत्तरी भागों में जला दिया जाता है। इससे व्यापक प्रदूषण होता है। यह पहले ही शुरू हो चुका है और कचरे से आर्थिक मूल्य प्राप्त करने तथा किसानों की आय बढ़ाकर और नए रोजगार सृजित करके कृषि अर्थव्यवस्था के लिए अधिक धन उत्पन्न करने में मदद मिल सकती है। अनुसंधान और विकास, अनुकूल नीति ढांचा आदि जैसे आगे के समर्थन से परिवहन क्षेत्र के लिए इथेनॉल की निर्बाध आपूर्ति सक्षम होगी।