टीकेएम भारत में मियावाकी अवधारणा संचालित वनीकरण को अपनाने वाला पहला कॉर्पोरेट है जिसने अपने संयंत्र में घना जंगल बनाया है

टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (टीकेएम), अपनी छह महत्वाकांक्षी  वैश्विक पर्यावरण चुनौतियां 2050 के अनुरूप, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नए मानक स्थापित करना जारी रखे हुए हैं। ऐसा वह अपने छठे इको चैलेंज, ‘प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना’ के तहत वनीकरण पहल के जरिये करती है। इस जून में जब कंपनी पर्यावरण माह मना रही है, तो टोयोटा की वृक्षारोपण गतिविधियों का उल्लेख करना लाजमी है। यह 2009 से  वनीकरण की मियावाकी विधि के नाम की एक अनूठी अवधारणा को अपनाने से दृढ़ता से प्रेरित हैं और टीकेएम भारत में इसे लागू करने वाला पहला कॉर्पोरेट है। स्थिरता और पारिस्थितिकी की बहाली के लिए टीकेएम की दृढ़ प्रतिबद्धता उल्लेखनीय परिणाम दे रही है, जैसा कि मियावाकी दृष्टिकोण के कई लाभों से स्पष्ट है।

मशहूर बोटैनिस्ट (वनस्पति शास्त्री) अब दिवंगत डॉ. अकीरा मियावाकी द्वारा समर्थित इस अभूतपूर्व दृष्टिकोण ने प्राकृतिक वन पुनर्जनन प्रक्रियाओं की नकल करने के लिए देशी प्रजातियों का उपयोग करके घने, बहुस्तरीय जंगलों को सक्षम किया है। मियावाकी अवधारणा  संभावित प्राकृतिक वनस्पति की अवधारणा के आधार पर जंगलों को बहाल करने और पुनर्निर्माण करने पर ध्यान केंद्रित करती है और इसका इस्तेमाल किये जाने से टीकेएम के परिसर में  प्राकृतिक वन बनाने में मदद मिली है। इसके लिए स्थानीय पौधे लगाये गए हैं जो जैव विविधता तैयार करते हैं और आहार श्रृंखला तथा पारिस्थितिकी की सहायता करते है। ऐसा करके, टीकेएम ने न केवल मूल प्राकृतिक आवासों को पुनर्स्थापित किया है बल्कि आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र भी बनाया जो एक स्वस्थ ग्रह में योगदान देता है। खुद डॉ. अकीरा मियावाकी के मार्गदर्शन में, टीकेएम ने 2009 में अपना पहला मियावाकी वृक्षारोपण अभियान शुरू किया, जो हरियाली और पर्यावरण- चेतना के संरक्षण की दिशा में अपनी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। उस महत्वपूर्ण दिन के बाद से, टीकेएम के वृक्षारोपण अभियान का विकास जारी है और कारखाने के परिसर के भीतर 112 एकड़ हरित क्षेत्र तक फैला हुआ है, जिसमें से 32 एकड़ वनीकरण को मियावाकी पद्धति का उपयोग करके विकसित किया गया है। पौधों की प्रजातियों के चयन में वानिकी प्रोफेसरों और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के सहयोग से निकटतम राष्ट्रीय उद्यान और अन्य संरक्षित वनों का दौरा शामिल है। जंगल में होने वाले बृक्षों की 120 से अधिक प्रजातियों (पेड़, झाड़ियाँ, लताओं और जड़ी-बूटियाँ) की पहचान की गई और 51 प्रजातियों को टीकेएम में रोपण के लिए चुना गया।

आज, बिदादी स्थित टोयोटा की विनिर्माण सुविधा, अपने परिसर में लगाए गए 700 से अधिक देशी प्रजातियों के 328,000 से अधिक पौधों को गर्व से समेटे हुए है। परिणाम वास्तव में विस्मयकारी रहे हैं, वर्षों में जैव विविधता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। मात्र 181 पौधों की प्रजातियों से, गिनती प्रभावशाली 700 तक बढ़ गई है, जबकि जीवों की प्रजातियों की संख्या 76 से बढ़कर 264 हो गई है। जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र में पक्षियों की 88 किस्में, तितलियों की 38 प्रजातियां, 107 तरह के कीड़े,17 सरीसृप (रेंगने वाले), 8 स्तनधारी और 6 उभयचर (मेढ़क, गिलहरी जैसे) शामिल हैं जिससे एक सफल देशी वन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास का पता चलता है।

By Business Bureau

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