जमाईषष्ठी से पहले बाजारों में ताड़ के पत्ते के पंखों की मांग बढ़ने लगी है। हालांकि पूरे साल इनकी मांग अधिक नहीं रहती, लेकिन जमाईषष्ठी से पहले बाजारों में ताड़ के पत्ते के पंखों की मांग अधिक रहती है। जलपाईगुड़ी के बाजार में फिलहांल ताड़ के पत्ते का एक पंखा 30 रूपये में बिक रहा है।
परंपरा के अनुसार बजमाईषष्टी पर सासें ताड़ के पंखे हिलाकर अपने दामाद की खुशहाली की कामना करती हैं। जिस तरह तूफान में ताड़ का पेड़ हिलता नहीं है, उसी तरह यह कामना की जाती है कि दामाद अपनी बेटी के प्रति अपने कर्तव्य को पूरा करने में अडिग रहे।
यही कारण है कि जमाईषष्ठी से पहले ताड़ के पंखों की मांग अधिक होती है। इस बार भी जलपाईगुड़ी के विभिन्न बाजारों में यह नज़ारे देखने को मिल रहे हैं।