घरेलू ब्राण्ड्स के प्रति गर्व की भावना शहरों एवं नगरों में उपभोक्ताओं के खरीद के फैसले को प्रभावित कर रही है। तकरीबन आधे उत्तरदाताओं ने बताया कि वे घरेलू एवं छोटे बिज़नेस ब्राण्ड्स से खरीददारी करना चाहते हैं, क्योंकि इन ब्राण्ड्स की कहानियां उनके लिए अधिक प्रासंगिक हैं, ये अधिक सुलभ और प्रमाणिक हैं। शुरूआती दौर के कन्ज़्यूमर ब्राण्ड्स का समर्थन करने वाली वेंचर केपिटल फर्म रूकम कैपिटल के व्यापक अध्ययन में ये तथ्य सामने आए हैं, यह अध्ययन भारतीय खरीददारों के बदलते व्यवहार, उनकी पसंद-नापसंद और खरीद के तरीकों पर रोशनी डालता है। यह अध्ययन स्थानीय उद्यमों, समाज के प्रति सजग कारोबारों एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पादों में कोलकाता के बढ़ते भरोसे को भी दर्शाता है।
इन रूझानों पर बात करते हुए अर्चना जहागीरदार, फाउंडर एवं मैनेजिंग पार्टनर, रूकम कैपिटल ने कहा, ‘‘भारतीय उपभोक्ता अब रूझानों को आकार देने में निष्क्रिय नहीं है, मार्केट में बदलाव आ रहे हैं। मार्केट पर डिजिटलीकरण, महत्वाकांक्षाओं एवं अफॉर्डेबिलिटी का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिख रहा है। भारत हमें बता रहा है कि आज सिर्फ यह बात मायने नहीं रखती कि एक ब्राण्ड क्या बेचता है, बल्कि यह भी महत्वपूर्ण है कि उपभोक्ता ब्राण्ड को कितना समझते हैं, इसके साथ कितना जुड़ाव या अपनापन महसूस करते हैं। यह बदलाव हर श्रेणी में दिखाई दे रहा है, फिर चाहे सेहतमंद विकल्प हों, पारदर्शी संचार या समुदाय-उन्मुख सक्रियता। यह बात संस्थापकों को याद दिलाती है कि भारत में लॉयल्टी बनाना अब डिस्काउन्ट के दायरे से कहीं बढ़कर ज़रूरी है; उपभोक्ताओं के लिए खरीद को रोज़मर्रा में सार्थक बनाना महत्वपूर्ण है।’
‘कोलकाता हमेशा से परम्पराओं और कारीगरी को महत्व देता रहा है। हमें यह देखकर गर्व का अनुभव होता है कि शहर के उपभोक्ता घरेलू ब्राण्ड्स को अपना रहे हैं, वे ऐसे कारोबारों को समर्थन दे रहे हैं जो स्थानीय संस्कृति का जश्न मनाते हैं, कारीगरों को सशक्त बनाते हुए शहर की प्रमाणिकता की भावना को जीवंत बनाए रखते हैं।’
