27
Apr
यह मानते हुए कि रुमेटिक रोग न केवल दर्द और विकलांगता का कारण बन सकते हैं, बल्कि पुरुषों और महिलाओं दोनों के जीवनकाल को छोटा कर सकते हैं, पूरे भारत के प्रसिद्ध रुमेटोलॉजिस्टों ने एक-चौथाई भारतीयों को प्रभावित करने वाले रुमेटिक रोगों का इलाज करने वाले विशेषज्ञों की कमी पर अपनी चिंता व्यक्त की है । इंटीग्रेटेड हेल्थ एंड वेलबीइंग (आईएचडब्ल्यू) परिषद के सहयोग से, इंडियन रुमेटोलॉजी एसोसिएशन (आईआरए) द्वारा एक आभासी सप्ताह भर की पहल, रूमैटोलॉजी वीक के उद्घाटन के मौके पर एकत्रित हुए लोगों ने तीन आमवाती रोगों अर्थात रुमेटीइड आर्थराइटिस, अंकोलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस और सिस्टेमेटिक लुपस इराईथेम्याटोस (एसएलई)…