सुभाष भौमिक जिन्होंने न केवल भारत को पदक दिलाया बल्कि सर्वश्रेष्ठ कोच भी रहे

भारतीय फुटबॉल टीम के मशहूर खिलाडी रहे सुभाष भौमिक का निधन शनिवार सुबह हो गया है।  वह 74 साल के थे। उनके जाने के बाद खेल जगत में शोक की लहर पसरी हुई है।  इसकी वजह है कि वह ना केवल एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं बल्कि एक कमाल के कोच भी थे। उन्होंने ना केवल भारत को कांस्य पदक दिलाया बल्कि जिस टीम को भी उन्होंने फुटबॉल के गुर सिखाए उस टीम ने पूरी दुनिया में जीत के झंडे गाड़े।
पूर्व भारतीय मिडफील्डर भौमिक 1970 में एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के सदस्य थे। उनके पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि वह लंबे समय से गुर्दे के रोग और मधुमेह से पीड़ित थे और उन्होंने सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर अंतिम सांस ली।

उन्होंने कहा, ‘वह पिछले लगभग साढ़े तीन महीने से नियमित रूप से डायलिसिस से गुजर रहे थे। करीब 23 साल पहले उनकी बाईपास सर्जरी भी हुई थी। हाल में उन्हें छाती में संक्रमण के कारण इकबालपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।’ भारत के लिए हासिल की कई विशेष उपलब्धियां- भारत की तरफ से खेलते हुए भी उन्होंने कुछ विशेष उपलब्धियां हासिल की। वह एशियाई खेल 1970 में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे। उन्होंने एशियाई खेल 1974 में भी देश का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने 1971 में मर्डेका कप में फिलीपीन्स के खिलाफ हैट्रिक बनायी थी। उनका करियर विवादों से भी घिरा रहा क्योंकि 2005 में रिश्वत के मामले में दोषी पाये जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था।

भौमिक ने संन्यास लेने के बाद कोचिंग में अपना करियर आगे बढ़ाया था। वह पहले मोहन बागान के साथ कोच के रूप में जुड़े और फिर ईस्ट बंगाल के सबसे सफल कोच बने। उनके कोच रहते हुए ईस्ट बंगाल ने 2003 में आसियान कप का खिताब जीता था। भौमिक के मार्गदर्शन में ईस्ट बंगाल ने राष्ट्रीय लीग के खिताब जीते।  इसके बाद वह जब तकनीकी निदेशक के रूप में चर्चिल ब्रदर्स से जुड़े तो उन्होंने यही सफलता इस टीम के साथ भी दोहरायी। उन्हें कोलकाता मैदान का ‘जोस मारिन्हो’ कहा जाता था। राजस्थान क्लब से हुई थी करियर की शुरुआत- भौमिक ने 19 साल की उम्र में राजस्थान क्लब से अपने करियर की शुरुआत की। इस राइट विंगर ने ‘ड्रिबलिंग’ में अपने कौशल के कारण एक दशक तक राष्ट्रीय फुटबॉल में अपना दबदबा बनाये रखा। ईस्ट बंगाल में एक सत्र बिताने के बाद भौमिक मोहन बागान से जुड़ गये थे जहां उन्होंने तीन साल बिताये। इसके बाद वह फिर से ईस्ट बंगाल से जुड़ गये थे। यह दोनों क्लब भारत में फुटबॉल के सबसे मशहूर क्लबों में से हैं जो पश्चिम बंगाल में स्थित हैं।

By Editor

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *