S&P ने वित्त वर्ष 26 में भारत की GDP ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान लगाया

S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने सोमवार को अनुमान लगाया कि भारत की इकॉनमी मौजूदा फिस्कल ईयर में 6.5 परसेंट और अगले फिस्कल ईयर में 6.7 परसेंट बढ़ेगी। साथ ही, टैक्स में कटौती और मॉनेटरी पॉलिसी में ढील से कंजम्प्शन से होने वाली ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा। अनुमान है कि मौजूदा फिस्कल ईयर के अप्रैल से जून के समय में भारत का रियल ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) पांच तिमाहियों में सबसे तेज़ 7.8 परसेंट बढ़ा है। Q2 (जुलाई-सितंबर) GDP ग्रोथ अनुमानों का ऑफिशियल डेटा 28 नवंबर को जारी किया जाएगा। S&P ने अपनी इकोनॉमिक आउटलुक एशिया-पैसिफिक रिपोर्ट में कहा, “हमें उम्मीद है कि फिस्कल ईयर 2026 (मार्च 2026 को खत्म) में भारत की GDP 6.5 परसेंट और फिस्कल ईयर 2027 में 6.7 परसेंट बढ़ेगी, जिसमें रिस्क बराबर बैलेंस्ड होंगे। US टैरिफ के असर के बावजूद, मजबूत कंजम्प्शन से घरेलू ग्रोथ मजबूत बनी हुई है।” RBI ने मौजूदा फिस्कल ईयर में भारत की GDP ग्रोथ 6.8 परसेंट रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले फिस्कल ईयर में 6.5 परसेंट की बढ़ोतरी से बेहतर है। S&P ने आगे कहा कि अगर भारत US के साथ ट्रेड एग्रीमेंट कर लेता है, तो इससे अनिश्चितता कम होगी और भरोसा बढ़ेगा, जिससे लेबर-इंटेंसिव सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। S&P ने आगे कहा, “कम गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) रेट मिडिल क्लास के कंजम्प्शन को सपोर्ट करेंगे और इस साल शुरू किए गए इनकम टैक्स में कटौती और इंटरेस्ट रेट में कमी को सपोर्ट करेंगे। इन बदलावों से इस फिस्कल ईयर और अगले फिस्कल ईयर में इन्वेस्टमेंट की तुलना में कंजम्प्शन ग्रोथ का एक बड़ा ड्राइवर बन सकता है।” सरकार ने 2025-26 फिस्कल ईयर के बजट में I-T रिबेट को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया है, जिससे मिडिल क्लास को 1 लाख करोड़ रुपये की टैक्स राहत मिली। इसके अलावा, RBI ने जून में मुख्य पॉलिसी रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती करके इसे 3 साल के सबसे निचले स्तर 5.5 परसेंट पर ला दिया था। इसके अलावा, 22 सितंबर से लगभग 375 आइटम पर GST रेट कम कर दिए गए, जिससे बड़े पैमाने पर कंजम्प्शन वाले आइटम सस्ते हो गए। S&P ने आगे कहा कि भारत पर US के असरदार टैरिफ में बढ़ोतरी से देश में एक्सपोर्ट पर आधारित मैन्युफैक्चरिंग के विस्तार पर असर पड़ रहा है। लेकिन ऐसे संकेत हैं कि US भारतीय प्रोडक्ट्स पर टैरिफ कम कर सकता है। S&P ने आगे कहा, “ट्रेड पॉलिसी के लिए US के नए तरीके की वजह से सरकारें और फर्म छूट के लिए बातचीत करने में समय और पैसा खर्च कर रही हैं, जिससे प्रोडक्टिविटी बढ़ाने की कोशिशों से ध्यान हट रहा है।”

By Arbind Manjhi